SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 33
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लिए प्रकृति ने हमें पंख नहीं दिये हैं, किंतु हाँ, वे दो पाँव जरूर दिये हैं, जिनके बूते हम कुछ पर्वतों को तो पार कर ही सकते हैं, बाधाओं को तो लाँघ ही सकते हैं, छोटे पैमाने पर ही सही, नये आदर और आदर्श की उपस्थापना कर ही सकते हैं। दिन की सुव्यवस्थित शुरुआत ___ स्वस्थ और सुंदर जीवन का स्वामी होने के लिए हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि हम हर नये दिन का श्रीगणेश किस रूप में करते हैं। हालांकि कहने में यह बात बहुत छोटी-सी होगी कि आप अपनी सुबह की नींद के खुलते ही अपने आप में क्या सोचते और देखते हैं, पर इस बात में बहुत दम है । कहीं ऐसा तो नहीं कि हमारी अलसुबह सुस्ती और उदासी से भरी हुई हो । अगर ऐसा है तो मानकर चलें कि आपका पूरा दिन सुस्त और निराशा से भरा होगा। यदि आप सुबह आँख खुलते ही अपने आप में विश्वास और प्रसन्नता का संचार करें, तो इस बात को देखकर चमत्कृत हो उठोगे कि आपका पूरा दिन कितना अधिक मधुर और आह्लादपूर्ण रहा। आप अपने आप में एक प्रयोग करके देखें । सुबह पौ फटते ही आप निद्रा का त्याग कर दीजिए। आँख खुलते ही केवल दो मिनट के लिए ही सही गहरी सांस लें और अपने तन-मन में विश्वास और माधुर्य का संचार करें । स्वस्थ और प्रसन्न मन के साथ जब हम अपने शरीर से रू-ब-रू होंगे तो शरीर भी मन जितना ही स्वस्थ और प्रसन्न हो उठेगा और इस तरह से हमारा हर नया दिन हमारे लिए एक नया अनमोल उपहार होगा। सुबह जगने के बाद हमें अपने घर की चारदीवारी में लगे पौधों के पास जाकर या कमरे की खिड़की से बाहर झाँककर कुछ अच्छी-प्यारी भावभीनी लम्बी-गहरी साँसें लेनी चाहिए। शरीर को निर्मल करने के लिए शौच-क्रिया से अवश्य निवृत्त होना चाहिए। तन-मन की स्वस्थता के लिए थोड़े गुनगुने पानी से नहाएँ, स्वच्छ-धुले ढीले कपड़े पहनें, थोड़ा योगासन करें, चित्त की स्वस्थता और स्वच्छता के लिए ध्यान करें । हमें सुबह का अल्पाहार लेने से पहले किसी कागज पर उन सारे कार्यों की योजनाबद्ध सूची तैयार कर लेनी चाहिए, जो कि हमें आज दिनभर में संपादित करने हैं । इस तरह से हमारे हर दिन की एक सुव्यवस्थित शुरुआत होगी । योजनाबद्ध तरीके से अपने हर दिन की शुरुआत करने वाला एक ही दिन में पचासों कार्यों निपटा लेगा। जो अपने जीवन के प्रति व्यवस्थित दृष्टिकोण नहीं रखता, उसका हर दिन और २२ ऐसे जिएँ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003895
Book TitleAise Jiye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2001
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy