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करता है । क्या हम यह देखने और सोचने का कष्ट करेंगे कि वह कार्य क्या है और कैसा है ? हमारे उस कार्य की शुरुआत स्फूर्त हृदय के साथ हो रही है या मुर्दा मन के साथ? हम विश्वास और निष्ठा के साथ कार्य के प्रति मुखातिब हो रहे हैं या प्रमाद और असफल भावना के साथ । ओह, व्यक्ति अपने किसी भी कार्य को व्यर्थ न समझे। दुनिया का हर कार्य अपने आप में श्रेष्ठ होता है, महत्व केवल इसी बात का है कि हम उसे किस होशहवास के साथ शुरू और पूरा करते हैं। बूंदें ला सकती हैं सैलाब
कई मर्तबा व्यक्ति की एक छोटी-सी कल्पना किसी नये आविष्कार का सूत्रधार बन जाया करती है। उसका छोटा-सा नज़र आने वाला चिंतन उसके घर-परिवार की दिशा बदल देता है । उसका कोई एक छोटा-सा कृत्य इतिहास की अमर कृति बन जाया करता है और उसका रचनात्मक जीवन धरती को स्वर्ग जैसा स्वरूप प्रदान करने में आधार भूमिका हो जाया करता है । इस स्थिति को समझने के बाद भी क्या हम अपने छोटे-से चिंतन, कार्यकलाप और अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी के प्रति सजग नहीं होंगे?
याद रखो, बादलों से बरसने वाली बूंदें भले ही छोटी-सी नज़र आएँ, किंतु ये छोटी-सी नज़र आने वाली बूंदें ही बहुधा बाढ़ का रूप ले लिया करती हैं। आखिर दुनिया की कोई भी कितनी भी बड़ी नदी क्यों न हो, अपने उद्गम-स्थल पर तो पानी की एक पतली धार भर होती है । जिस एक पेड़ से लाखों तीलियाँ बनती हैं, अगर उनमें से कोई एक तीली आग पकड़ ले, तो वह आग का इतना विराट रूप ले सकती है कि लाखों पेड़ों को जलाने में वह अकेली समर्थ हो जाती है।
क्या कोई बीते कल को यह विश्वास करता था कि किसी अर्द्धनग्न गांधी की अहिंसा भारत जैसे किसी विशाल राष्ट्र को आज़ाद करने में कोई अहम भूमिका निभा सकती है ? नेलसन मंडेला की रक्तहीन क्रांति भले ही उसे बरसों जेल में रहने के लिए विवश करे, लेकिन दृढ़ आत्मविश्वास और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता अन्ततः मंडेला को राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित करती है। क्या आप इन सब बातों को अपने आप में परिलक्षित होता देखना चाहते हैं ?
व्यक्ति के भीतर आज जितनी जरूरत शिक्षा और ज्ञान की है, उससे कहीं ज्यादा निष्ठा और विश्वास की है । माना कि हर व्यक्ति विश्व का दारोमदार नहीं बन सकता, किंतु वह अपने स्वयं का तो नियंता हो ही सकता है। माना कि आकाश को मापने के
स्वस्थ मन से करें दिन की शुरुआत
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