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कुछ अच्छी-सी बातें आज प्रवचन के माध्यम से आप लोगों को सुनाने का अवसर मिला। उसके लिए मेरे हृदय में प्रसन्नता है। प्रभु करे, हम अपने जीवन के साधना-मार्ग में बढ़ते हुए उस चरम बिन्दु का स्पर्श पा लें जहाँ मुक्ति की किलकारियाँ, जहाँ अदृश्य और अज्ञात के द्वार अपने आप खुल जाएँ, वह जगत प्रकट हो जाए जो हमें आँखों से दिखाई नहीं देता, उस संगीत का रसास्वादन कर पाएँ जिसे हम कानों से नहीं सुन पाएँ। जैसे पहाड़ों के झरने सागर और नदियों की ओर बहन को उत्सुक होते हैं हमारी ऐसी ही उत्सुकता प्रभुता की ओर बनी रहे। आप सबके अन्तर्घट में विराजमान परम पिता परमेश्वर की ज्योति को अशेष प्रणाम । आज के लिए इतना ही।
ऊँ शान्ति !
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पहचानें, निज ब्रह्म को : : 61
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