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जन्म सांयोगिक हो सकता है, लेकिन जीवन नहीं। जीवन तो परमात्मा की देन है बिल्कुल निर्मल और पवित्र ।
जीवन का कागज एकदम खाली है ताकि तुम जान सको कि जन्म से लेकर मृत्यु के सफर में तुमने इस कागज में क्या लिखा है। जन्म के साथ ध्वनि नहीं होती, पहचान नहीं होती, संगीत का ज्ञान नहीं होता, बिल्कुल शुद्ध सत्य रूप पैदा होते हो। जीसस ने कहा भी है, 'जो व्यक्ति बालक की तरह सरल हो जाता है वही परमात्मा के राज्य में प्रवेश कर सकता है। सरल अर्थात् जिसके भीतर कुछ भी नहीं है। बच्चों को देखा है न कैसे भोले, निष्पाप और निष्कपट होते हैं ऐसा ही जो व्यक्ति हो जाता है वही परमात्मा को उपलब्ध कर पाता है। साधक संकेत दे रहा है कि 'कोरा कागज जिंदगी' तुम्हें तो कोरा कागज मिला है इसे तुम किस प्रकार के शब्दों से भरते हो यह तुम्हें जानना है। गीता भी अवतरित हो सकती है, गीत भी गाये जा सकते हैं और गालियों का शब्दकोश भी भरा जा सकता है। चुनाव तुम्हारे हाथ में है। अतीत के खंडहरों पर भविष्य का महल बनाते हो या वर्तमान के आनन्द से सराबोर होते हो, तुम्हें क्या करना है यह बेहतर कोई नहीं जानता । अगर तुम नहीं जानते हो तो लगा दो छलांग डूबे कि तिरे । कागज की नाव कहीं नहीं पहुँचाएगी, लेकिन कोरा कागज जरूर तुम्हारे जीवन की स्याही से रंगीन किया जा सकता है ।
तुम इतने तनाव से भरे क्यों हो ? क्यों नहीं अतीत की स्मृतियों और भविष्य की कल्पनाओं से मुक्त हो जाते। यही तुम्हारे तनाव का एकमात्र कारण मुझे प्रतीत होता है कि तुम्हारा वर्तमान कहीं भी नहीं है या तो अतीत है या भविष्य । और इन दोनों का कहीं अस्तित्व नहीं है, लेकिन इन दोनों के हिंडोले में तुम वर्तमान को झुलाते रहते हो ।
मुझे याद है : एक निस्संतान दम्पती थे। किसी ज्योतिषी से बच्चे के जन्म के बारे में पूछा। ज्योतिषी भी कोई पहुँचा हुआ व्यक्ति रहा होगा कह दिया अगले वर्ष आप माता-पिता बन जाएंगे। दोनों बहुत खुश हुए। अब वे भविष्य की कल्पनाओं के जाल बुनने लगे। सबसे पहले तो मान ही लिया कि बेटा ही होगा। अब पुत्र होगा तो दावत देंगे। दावत देनी है तो किन-किन को निमंत्रण दिया जाए, इसकी सूची तैयार की गई। अब बच्चा क्या पहनेगा, इसका निर्णय किया गया । बच्चा है तो बड़ा भी होगा, उसे कहाँ पढ़ाया जाए, सब बाते हो त गईं । अन्ततः उसे क्या बनाया जाए इस पर विवाद हो गया । पत्नी कहने लगी मैं तो उसे डॉक्टर बनाऊंगी और पति अड़ गया कि उसे
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काया मुरली बाँस की
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