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चन्द्रप्रभ का चौथा बंदर 'बुरा मत सोचो' गांधीजी के तीन बंदरों की को प्रमुख स्थान दिया है। श्री चन्द्रप्रभ की यह प्रेरणा उपयोगी है कि तरह सर्वत्र समादृत हुआ है। वे स्वयं को सकारात्मक सोच का "हाथ में घड़ी बाँधने की सार्थकता तभी है जब व्यक्ति समय पर चलने अनुगामी मानते हैं। श्री चन्द्रप्रभ का मानना है, "सकारात्मक सोच की जागरूकता रखें।" समस्त विश्व की समस्याओं को सुलझा सकता है । मानसिक शांति और श्री चन्द्रप्रभ ने समय की महत्ता प्रतिपादित करते हए कहा है, तनाव मुक्ति के लिए सकारात्मक सोच सबसे बेहतरीन कीमिया दवा "जीवन में एक वर्ष की क्या कीमत है. यह पछिए उस विद्यार्थी से जो हैं । यह सर्वकल्याणकारी महामंत्र है। मैंने इस मंत्र का अनगिनत लोगों परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया। एक महीने की कीमत ऐसी महिला से पर प्रयोग किया है और चमत्कारी परिणाम प्राप्त किए हैं। यह मंत्र आज
पूछिए जिसके अठमासिया बच्चा पैदा हुआ। एक सप्ताह की कीमत तक निष्फल नहीं हुआ है।" उन्होंने नकारात्मक सोच का मुख्य कारण
साप्ताहिक पत्रिका के सम्पादक से पूछिए जो कि सही समय पर पत्रिका जीवन में पलने वाली उदासीनता, निराशा और अकर्मण्यता को माना
प्रकाशित न कर सका। एक दिन की कीमत उस मजदूर से पूछिए जिसे है। उनके द्वारा विचारों को भी सावधानीपूर्वक ग्रहण करने की दी गई
दिनभर की गई मेहनत की मजदूरी न मिल पाई। एक घंटे की कीमत प्रेरणा जीवन के लिए उपयोगी है।
किसी सिकंदर से पूछिए जो एक घंटे की अतिरिक्त जिंदगी के लिए श्री चन्द्रप्रभ का दर्शन सकारात्मक सोच पर विशेष बल देता है। अपना साम्राज्य देने को तैयार हो गया। एक मिनट की कीमत उससे उनका साहित्य सकारात्मक दृष्टिकोण से परिपूर्ण है। वे सोच को पछिए जो वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले से एक मिनट पहले बाहर प्रभावित करने वाले तत्त्वों में शिक्षा, वातावरण और जीवन केअनुभव निकला था और एक सैकंड की कीमत उस ओलम्पिक खिलाड़ी से को मुख्य मानते हैं। श्री चन्द्रप्रभ ने सकारात्मक सोच का अर्थ बताते हुए पछिए जो स्वर्ण पदक की बजाय रजत पदक ही पा सका। आप समय कहा है, "लोगों के द्वारा अनुकूल या प्रतिकूल वातावरण उपस्थित की कीमत समझिए और समय-बद्धता को जीवन में लागू कीजिए।" किये जाने पर भी स्वयं को लचीला बना देना, चित्त पर किसी बात को
उनके द्वारा समय-प्रबंधन पर की गई व्याख्याएँ वर्तमान संदर्भो में बेहद हावी न होने देना और किसी तरह की उग्र प्रतिक्रिया किए बगैर अपनी उपयोगी हैं। उन्होंने समय को सृजनात्मकता, साक्षी भाव,
ओर से सद्व्यवहार करना सकारात्मक सोच है।" उनके दर्शन में सोच परिवर्तनशीलता. मल्यवत्ता. आध्यात्मिकता. अप्रमत्तता आदि विभिन्न को सकारात्मक बनाने के लिए जिन सूत्रों का मार्गदर्शन दिया गया है वे
बिन्दुओं के साथ विश्लेषित किया है। उनके दर्शन में समय प्रबंधन को इस प्रकार हैं -
साधने के लिए जो सूत्र दिए गए हैं वे इस प्रकार हैं1. शांति को मूल्य दें।
1.कार्य को कल पर टालने से बचें। 2. औरों के प्रति सम्मान एवं सहानुभूति भरा नजरिया रखें।
2.व्यर्थ कार्यों में उलझने की बजाय सार्थक काम करें। 3. किसी की कमियों को न देखें।
3.समय को बचाने और उसके पाबंद बनने के लिए जीवन को 4. दिमाग में व्यर्थ की चिंताएँ न पालें।
व्यवस्थित करें। 5. स्वभाव को खुशमिजाज बनाकर रखें।
8. बेहतर मानसिकता - भारतीय धर्म-दर्शनों में मन को ही 6. अतीत को याद कर दुःखी न होवें।
मनुष्य के बंधन एवं मोक्ष का कारण माना गया है। जैसे मुक्ति के लिए 7. हर समय व्यस्त व हर हाल में मस्त रहें।
मन की सात्विकता जरूरी है वैसे ही सफलता के लिए बेहतर 6. प्रतिक्रिया से दूरी - जीवन क्रिया प्रतिक्रिया का नाम है। मानसिकता का होना आवश्यक है। श्री चन्द्रप्रभ के दर्शन में सफल प्रतिक्रिया जब उग्र प्रतिक्रिया का रूप धारण कर लेती है तो जीवन कॅरियर के लिए मानसिकता को मजबूत बनाने की प्रेरणा दी गई है। श्री अस्त-व्यस्त हो जाता है। श्री चन्द्रप्रभ का विचार-दर्शन सफलता पाने
___ चन्द्रप्रभ की यह सूक्ति प्रसिद्ध है, "मन मजबूत तो किस्मत मुट्ठी में।" के लिए प्रतिक्रियाओं से बचने की सलाह देता है। श्री चन्द्रप्रभ का यह एक मनोवैज्ञानिक सत्य है कि व्यक्ति की जैसी मानसिकता होती है दृष्टिकोण है, "अगर हम चाहते हैं कि औरों के द्वारा हमारे प्रति वैसा ही उसका जीवन और व्यक्तित्व बन जाता है। महान व्यक्तित्व के सदव्यवहार हो, तो अपनी ओर से दृढ़प्रतिज्ञ बनो कि मैं अपनी ओर से निर्माण के लिए व्यक्ति की मानसिकता का महान होना अनिवार्य है। श्री किसी के प्रति दुर्व्यवहार नहीं करूँगा। जब महावीर के कानों में कीलें चन्द्रप्रभ का मानना है."मन ही इंसान का बल है और मन ही उसका ठोकी गईं तो यह और कुछ नहीं महावीर द्वारा की गई क्रिया की बलराम।इंसान का मन तनावमक्त.एकाग्र.शांतिमय और प्रज्ञामय है तो प्रतिक्रिया थी क्योंकि महावीर ने अपने पूर्वजन्म में अपने ही अंगरक्षक जीवन के विकास में मन से बडा और कोई उपयोगी तत्त्व नहीं हो के कानों में खोलता हुआ शीशा डलवा दिया था।"श्री चन्द्रप्रभ के
सकता।" किस्मत और पुरुषार्थ के संदर्भ में श्री चन्द्रप्रभ का दृष्टिकोण विचार-दर्शन में प्रतिक्रियाओं से बचने के लिए निम्न सूत्र प्राप्त होते हैं
है, "किस्मत न तो आसमान से टपकती है न ही पाताल फोड़ कर आती 1.औरों की विशेषताओं पर ध्यान दें।
है, किस्मत उन्हीं लोगों का साथ देती है जो मजबूत मन के साथ 2.बिन माँगे सलाह न दें।
पुरुषार्थ किया करते हैं।" श्री चन्द्रप्रभ ने मानसिकता को बेहतर बनाने 3.विपरीत परिस्थितियों में शांत-सौम्य-प्रसन्न रहें।
के लिए निम्न सूत्र दिए हैं - 7.समय प्रबंधन - महावीर ने अपने शिष्य गौतम को हजारों बार 1.हर सुबह की शुरुआत मुस्कान से करें। कहा था, 'समयं गोयम मा पमायए' अर्थात् गौतम समय मात्र का भी 2. प्रत्येक कार्य खुशी एवं तन्मयता से करें। प्रमाद मत कर। जो प्रमाद में समय व्यतीत करते हैं उनकी जिंदगी व्यर्थ 3.जीवन के प्रति उत्साह रखें। हो जाती है। जीवन में पहला अनुशासन समय का पालन होना चाहिए।
4.सफलतम पुरुषों से सीखें।। श्री चन्द्रप्रभ ने जीवनदर्शन में सफलता प्राप्ति के लिए समय-प्रबंधन 5.गीता का पाठ कर आत्म-शक्ति को पैदा करें।
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