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________________ संवादयुक्त शैली छोटी-छोटी कहानियों, उदाहरणों व घटनाओं के बनने की प्रेरणा दी है और अंत में महावीर की साधना के रहस्यों को प्रयोग में संवाद मील का पत्थर व दीपशिखा का काम करते हैं। प्रकट किया है। उन्होंने भीतर में छिपे महावीरत्व को प्रकट करने का मार्ग भी सुझाया है। भगवान महावीर द्वारा की गई साधना और महापुरुषों पर साहित्य उसके द्वारा मानव जाति को दिए गए अवधानों को सरल शैली में इस शृंखला के तहत हम श्री चन्द्रप्रभ की उन पुस्तकों को समझने के लिए यह पुस्तक बेहद उपयोगी है। जो व्यक्ति परिवार, समायोजित कर रहे हैं जो उन्होंने अध्यात्म जगत के कुछ विशिष्ट समाज और राष्ट्र के विकास के साथ स्वयं का आध्यात्मिक उत्थान महापुरुषों एवं शास्त्रों पर अपनी ओर से विवेचन और प्रवचन प्रस्तुत करना चाहता है उनके लिए पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ द्वारा दी गई किए हैं। प्रेरणाएँ बेहतरीन मार्गदर्शक की भूमिका निभाती हैं। (1) आत्मा की प्यास बुझानी है तो (7) जागो मेरे पार्थ आत्मदर्शन की साधना (2) मानव हो महावीर (8) जागे सो महावीर इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने महान् अध्यात्म योगी आचार्य (3) महावीर की साधना के रहस्य (9) फिर महावीर चाहिए कुंदकुंद के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'अष्ट पाहुड' की कुछ गाथाओं पर नवीन (4) आत्मदर्शन की साधना (10) आत्मा के लिए अमृत दृष्टि प्रदान की है। उन्होंने कुंदकुंद को अध्यात्म के अनुभव-दृष्टा (5)अमृत का पथ (11) मृत्यु से मुलाकात संत-पुरुष बताते हुए उनके सूत्रों को साधनात्मक क्रांति के लिए (6) मारग साँचा मिल गया (12) महावीर : आपकी और अनमोल रत्न बताया है। उनके गहन सूत्रों को सरलता से समझने के आज की हर समस्या का समाधान। लिए श्री चन्द्रप्रभ की व्याख्याएँ बेशक़ीमती हैं। कुंदकुंद के सूत्रों में साधना का खोखलापन नहीं बल्कि अनुभव की स्पष्टता है। इन सूत्रों उपर्युक्त साहित्य का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है - पर श्री चन्द्रप्रभ ने लेखनी चलाकर इन्हें और उपयोगी बना दिया है। आत्मा की प्यास बुझानी है तो... अब तक हमने चारित्र से ज्ञान और ज्ञान से दर्शन की साधना की थी, पर इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने महान योगी आनंदघन के मुख्य पदों कंदकंद ने इस विपरीत यात्रा को सुधारने की प्रेरणा दी है जो कि साधना पर विस्तार से व्याख्या की है। वे आनंदघन को बीसवीं सदी का की दृष्टि से उपयोगी है। इनका चिंतन-मनन करके व्यक्ति मक्ति के 'अमृत-पुरुष' मानते हैं। श्री चन्द्रप्रभ ने उनके आध्यात्मिक पद नए द्वारों को खोलने में सफल हो सकता है। रचनाओं पर प्रकाश डालकर उन्हें आमजन के लिए उपयोगी बना दिया अमृत का पथ है। चेतना का विकास, आत्म-स्वतंत्रता, गुरु, समता, सुसंगत और समर्पण से जुड़े पदों पर इन अध्यायों में विवेचना हुई है। आनंदघन के इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ द्वारा भगवान बुद्ध के पवित्र शास्त्र पद जितने रसीले-सुरीले हैं उतनी ही उन पर की गई व्याख्याएँ भी 'धम्मपद' के प्रमुख सूत्रों पर मनोहारी व्याख्या की गई है। भगवान बुद्ध रसभीनी हैं। आनंदघन को आमभाषा में समझने व आध्यात्मिक द्वारा 2500 साल पहले मानव जाति के कल्याण हेतु दिए गए सूत्रों संदेशों पर श्री चन्द्रप्रभ द्वारा मौलिक, जीवन-सापेक्ष एवं चारदीवारी से सच्चाइयों को जानने के लिए यह पुस्तक अमूल्य रत्न की तरह है। ऊपर उठकर दिए गए प्रवचनों की श्रृंखला का नाम है 'अमृत का पथ'। मानव होमहावीर पुस्तक की शुरुआत में भगवान बुद्ध के जीवन की विशिष्ट घटनाओं पर ___ इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने धरती पर हुए महापुरुषों के जीवन का प्रकाश डाला गया है। तत्पश्चात् क्रमशः एक-एक सूत्र का उल्लेख करते हुए उनसे धर्म-प्रेरणा लेने की सलाह दी है। वे धरती पर विश्लेषण-विवेचन किया गया है। ये प्रवचन संबोधि धाम, जोधपुर में स्वर्ग की रचना के लिए जीवन को स्वर्ग बनाना ज़रूरी मानते हैं । जीवन साधकों के समक्ष दिए गए हैं। वे इन्हें समझने व आत्मसात् करने के मंदिर जैसा कैसे बने, जीवन और धर्म का अंतर्संबंध, त्रिरत्न का लिए विराट दृष्टि रखने की प्रेरणा देते हैं ताकि हम संबोधि के सागर की स्वरूप, ऊँची सोच कैसे बनाएँ, समय के रहस्य, अंधकार से प्रकाश । ओर अग्रसर हो सकें। भगवान बुद्ध के सूत्रों पर श्री चन्द्रप्रभ द्वारा की गई की यात्रा आदि विषयों पर वर्तमान सापेक्ष चिंतन दिया गया है। श्री व्याख्या अद्भुत एवं अनूठी है। बुद्ध के द्वारा दिए गए लोक चन्द्रप्रभ परम्परागत धर्मों से ऊपर हैं। उन्होंने जीवन को नए संदर्भो में कल्याणकारी सूत्रों को हम आसानी से इस पुस्तक में समझ सकते हैं। प्रस्तुत किया है। पुस्तक की भाषा सरल व दिल को छूने वाली है। इन अगर हम उदार एवं गुणानुरागी बनकर इन सूत्रों का आचमन करें तो ये अध्यायों से हम धर्म, जीवन, ज्ञान, अध्यात्म जैसे बिंदुओं को नए हमारे लिए चमत्कार घटित कर सकते हैं। स्वरूपों में समझ सकते हैं। मानव से महावीर की यात्रा करने की मारगसाँचा मिल गया भावना रखने वालों के लिए यह पुस्तक बेहद उपयोगी है। इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने गुजरात में हुए एक महान् साधक महावीर की साधना के रहस्य श्रीमद् राजचन्द्र के जीवन पर तथा उनसे जुड़ी घटनाओं पर प्रकाश इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने महावीर को पंथ-परम्पराओं, डाला है एवं उनकी साधना से उत्पन्न आत्मज्ञानपरक सूत्रों की सरल सम्प्रदायों से मुक्त करके उनके संदेशों की मूल आत्मा को प्रकट शैली में व्याख्या की है। श्रीमद राजचन्द्र ने गृहस्थ जीवन में रहते हुए किया है। इस पुस्तक में उन्होंने अंतर्मन के संसार को उद्घाटित भी साधना द्वारा भीतर की ऊँचाइयों को छआ था।संत होने के बावज़द किया है और अहिंसा को जीवन की आत्मा बताया है। उन्होंने श्रीमद् राजचन्द्र पर लिखना श्री चन्द्रप्रभ की गुणानुरागी दृष्टि का साक्षी भाव को जितेन्द्रियता का राज बताते हुए स्वयं का मालिक परिणाम है। उन्होंने पिछले छब्बीस सौ सालों में महावीर की ध्यान 50 > संबोधि टाइम्स For Personal & Private Use Only पार www.jainelibrary.org
SR No.003893
Book TitleSambdohi Times Chandraprabh ka Darshan Sahitya Siddhant evam Vyavahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantipriyasagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2013
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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