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________________ पद्धति से गुजरने वाले साधक के रूप में उनकी प्रशंसा की है। मात्र है। जो साधना के नए सोपानों को उपलब्ध होना चाहता है, मुक्ति के तैतीस साल की उम्र में गुज़र जाने के बावजूद श्रीमद् राजचन्द्र ने माधुर्य का रसास्वादन करना चाहता है उनके लिए यह पुस्तक अमूल्य अध्यात्म के रहस्यों को उपलब्ध कर लिया और उन्हीं के द्वारा दिए गए निधि है, जिसके एक-एक शब्द पढ़ने मात्र से नई दिशा, नई ऊर्जा, नई मुक्ति, ध्यान, ईश्वर, गुरु, भक्ति, मैं कौन हूँ से जुड़े सूत्रों की व्याख्या आत्मानुभूति होने लगती है। इस पुस्तक में हुई है। फिर महावीर चाहिए श्रीमद् राजचन्द्र वास्तव में अध्यात्म के गहरे पिपासु व्यक्ति थे। इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने भगवान महावीर को नए संदर्भो में उन्होंने अध्यात्म को सही अर्थों में जिया और उससे जो मिला उसे प्रस्तुत करते हुए उनके सिद्धांतों की वर्तमान सापेक्ष व्याख्या की है। बाटत चले गए। अनुभवा से नि:सृत उनक वचन शास्त्रा का तरह विश्व को किस तरह स्वार्थ, हिंसा और दुराग्रहों से बचाया जा सकता आदरणीय हैं। श्री चन्द्रप्रभ की व्याख्या से उनके वचन और अधिक है, इसका मार्गदर्शन देते हुए श्री चन्द्रप्रभ ने महावीर को पुनः समझने सरल एवं जीवंत हो गए हैं। साधकों के लिए श्रीमद् राजचन्द्र के पदों की प्रेरणा दी है। इस धरती को फिर से महावीर की और महावीर के की इन व्याख्याओं से बढ़कर अच्छी पुस्तक नहीं हो सकती है। सिद्धांतों को नए अर्थों में सीखने की आवश्यकता है। अगर ऐसा होगा जागो मेरे पार्थ तो इस धरती पर फिर से प्रेम,शांति और आनंद का शंखनाद हो सकेगा। इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने महान् शास्त्र श्रीमद्भगवतगीता पर जो व्यक्ति महावीर से कुछ सीखना चाहता है, महावीर को नए रूप से जीवन सापेक्ष व वर्तमान सापेक्ष व्याख्या की है। जोधपुर में संपन्न हुई समझना चाहता है, उसके लिए यह पुस्तक दीपक का काम करती है। गीता-प्रवचनमाला का संकलन इस पुस्तक में किया गया है। गीता के आत्मा के लिए अमृत इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ द्वारा अध्यात्म क्षेत्र के तीन चनिंदा चुके हर व्यक्ति को उद्बोधन हैं जो उसके सुप्त व्यक्तित्व को जाग्रत महापुरुषों - आचार्य कुंदकुंद, योगीराज आनंदघन एवं श्रीमद् राजचन्द्र करते हैं। हर अध्याय की व्याख्या न केवल पंथनिरपेक्ष वरन् अद्भुत भी के साधना सूत्रों एवं पदों पर दिए गए प्रवचनों का संकलन किया गया है। इसमें दिए गए प्रवचन इतने रसभीने हैं कि श्री जितयशा फाउंडेशन है। पुस्तक सूत्रात्मक एवं व्याख्यात्मक शैली में लिखी गई है। अलगसक दस सस्करण प्रकाशित हा चुक हा यह पुस्तक एक अलग पदों पर की गई व्याख्याएँ पढ़ने से विशेष तरह का आध्यात्मिक तरह से गीता का पुनर्जन्म है, जिसमें चुनौतियों का सामना करने की सुकून मिलना पुस्तक की विशेषता है। तीनों महापुरुषों के विशिष्ट पदों कला सिखाई गई है। साथ ही कर्म योग, मुक्ति, अनासक्ति, मैत्री, पर की गई श्री चन्द्रप्रभ की व्याख्याएँ अद्भुत एवं आत्मज्ञान से भगवान, ओम्, योग, समर्पण, मन, निर्लिप्तता, सतोगुण, आत्मज्ञान, __ लबालब भरी हुई हैं, जो हमें सहज ही अध्यात्म के मार्ग की ओर क़दम श्रद्धा जैसे विषयों पर अद्भुत व्याख्या की गई है। बढ़ाने की अंतप्रेरणा जगाती हैं। जीवन में महाजीवन की खोज करने के पुस्तक का हर पृष्ठ जीवन-रस से पूर्ण है। यह पुस्तक अपने आप लिए यह पुस्तक सद्गुरु का दिव्य अवदान है। इसका मनन हमें मुक्त में गीता के साथ श्री चन्द्रप्रभ का दर्शन भी है। उन्होंने आदर्श एवं यथार्थ चेतना का स्वामी बनने में सहयोगी की भूमिका निभाएगा। दोनों का सुंदर चित्रण किया है। इस ग्रन्थ को पढ़कर हर व्यक्ति विजय । मृत्यु से मुलाकात के विश्वास एवं पुरुषार्थ की भावना से स्वतः भर उठता है। इस पुस्तक हर इंसान जीना चाहता है, मरना कोई नहीं चाहता। यह जितना पर टिप्पणी करते हुए तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने कहा था कि हर समस्या की घड़ी में यह पुस्तक मेरे लिए समाधान की सच है उतना सच यह भी है कि हर किसी को जीवन में मृत्यु का सामना रामबाण औषधि का काम करती है। गीता पर मैंने ऐसी व्याख्या पहले करना ही पड़ता है, पर मृत्यु क्या है? इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने हर कभी नहीं पढ़ी। व्यक्ति को मृत्यु से साक्षात मुलाकात करवाई है। हम जीवन को किस तरह जिएँ कि मृत्यु भी जीवन की तरह महक उठे, इसी दस्तावेज का जागेसो महावीर नाम है मृत्यु से मुलाकात । ग्रंथ का हर पन्ना आध्यात्मिक सुकून देने __ इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने भगवान महावीर द्वारा अध्यात्म पर वाला है। इसे पढ़कर हम मृत्यु के बोझ से मुक्त होकर जीवंत चेतना के दिये गए संदेश सूत्रों की विवेचन शैली में व्याख्या की है। जो हमें मालिक बन जाएँगे। महावीर से सीधे रूबरू करवाती है साथ ही आध्यात्मिक ऊँचाइयों को महावीर आपकी और आजकी हर समस्या का समाधान छूने की प्रेरणा देती है। श्री चन्द्रप्रभ ने इस पुस्तक में भगवान श्री महावीर द्वारा दिए गए महावीर के सूत्र हर प्राणी के लिए, हर समाज के लिए आवश्यक दिव्य संदेशों को युगीन भाषा में प्रस्तुत किया है। आज मानव और हैं ; साथ ही राष्ट्र और विश्व में शांति, समरसता और सौहार्द को मानव-जाति को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उनका स्थापित करने में भी ये वैज्ञानिक भूमिका निभाते हैं। महावीर के सूत्रों सीधा और सटीक उत्तर है महावीर : आपकी और आजकी हर समस्या पर श्री चन्द्रप्रभ ने अपनी लेखनी चलाकर 2600 सालों के बाद महावीर का समाधान। श्री चन्द्रप्रभ जैसे चिंतक द्वारा किसी सूत्र की गई व्याख्या को पुनर्जीवित कर दिया है। उन्होंने महावीर के धर्म में आ चुकी को पढ़ना न केवल आनंददायी होता है वरन् जीवन को भी नई दिशा रूढ़ताओं का विरोध कर अनुयायियों को जागृत करने की कोशिश की प्रदान करने वाला सिद्ध होता है। ये प्रवचन आज की मानव-जाति के है जो कि सराहनीय उपलब्धि है। जो भी व्यक्ति महावीर को नए रूपों लिए संजीवनी की तरह है। अगर हम श्री चन्द्रप्रभ की बातों को रुटिन और अर्थों में देखना चाहता है उनके लिए यह पुस्तक वरदान स्वरूप For Personal & Private Use Only Jain Education International संबोधि टाइम्स-5100
SR No.003893
Book TitleSambdohi Times Chandraprabh ka Darshan Sahitya Siddhant evam Vyavahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantipriyasagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2013
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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