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________________ आने वाली समस्याओं का जिज्ञासा-समाधान के रूप में वैज्ञानिक एवं उपर्युक्त साहित्य का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है - व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया है। पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ से 15 कैसे बनाएँसमय को बेहतर अलग-अलग विषयों पर पूछे गए सवालों के ज़वाबों का संकलन है। इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने समय को बेहतर बनाने के गुर दिए हर समाधान हमारे सोये हुए आत्मविश्वास को जगाकर हमें भीतर हैं। उनका मानना है, "इस धरती पर सबसे ताक़तवर कोई चीज़ है तो बाहर से मज़बूत बनाने का काम करता है। ख़ुद का प्रबंधन, शांति का वह है समय। जो इसकी कद्र नहीं करता यह उसकी कब्र खड़ी कर देता मूल्य, लक्ष्य, मज़बूत इरादे, विशाल हृदय, स्मरण शक्ति, शादी या है। जिसने समय को जाना, जीया वो समय के पार पहुँच गया। समय के कॅरियर, नारी महत्त्व, शास्त्र-सार, मनोविकार, दिनचर्या से जुड़े मित्र बनने का एक ही रास्ता है: समय के पाबंद बनो।" इस पुस्तक में विविध प्रश्नों के दिए गए उत्तर अँधेरे में खड़े इंसान को सत्यमार्ग पर समय का प्रबंधन कैसे करें,जीवन में कैसे जागे,जीवेषणाओं के चंगल लाकर स्थित करता है। इस पुस्तक के हर पन्ने में तार्किक, से कैसे बचें, इत्यादि विषयों पर श्री चन्द्रप्रभ ने बेहतरीन मार्गदर्शन दिया मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य छिपे हुए हैं जो हर व्यक्ति के लिए मील के पत्थर की तरह मार्गदर्शन का काम करते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने समय की चेतना से हमारी चेतना बेहतर जीवन के बेहतर समाधान को झंकृत करने का प्रयास किया है। उन्होंने अतीत और भविष्य की __ इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने जिज्ञासा को विकास की नींव माना कल्पनाओं में जीने की बजाय वर्तमान में जीने और वर्तमान को धन्य है। वे कहते हैं "जिज्ञासा : आत्मबोध का पहला कदम है। जीवन में करने का श्रेष्ठ मार्ग प्रशस्त किया है। वे कहते हैं, "हमारे हाथ में जिज्ञासा का वही मूल्य है जो किसी प्यासे के लिए पानी का होता है। केवल वर्तमान है और इसी पर उज्ज्वल भविष्य की नींव टिकी है। हम प्यास हो, तो पानी मूल्यवान हो जाता है और जिज्ञासा हो तो, समाधान बीती को बिसारें और हर पल का भरपूर उपयोग करें ताकि जीवन बेशकीमती हो जाया करता है।" इस पुस्तक के हर पृष्ठ में नवनीत अमृत बन सके।" इस तरह यह पुस्तक जागृत होकर जीने व वर्तमान छिपा हुआ है। ऐसे लगता है जैसे प्रश्न और समाधान किसी और के को शक्तिशाली बनाने के लिए दीपशिखा का काम करती है। नहीं वरन् हमारे अपने हैं। पुस्तक को पढ़ते-पढ़ते पाठक जीवन-जगत लक्ष्य बनाएँ, सफलता पाएँ का अध्येता बन जाता है और उसका मूल अस्तित्व प्रकट होने लगता है। सार में कहा जाए तो पुस्तक में जीवन जगत के सम्पूर्ण सत्यों की प्रस्तुत पुस्तक में न केवल लक्ष्य को पाने का मार्ग बताया गया है वरन् उस मार्ग में आने वाली बाधाओं का भी जिक्र किया गया है और झलक एक साथ मिल जाती है। उससे बाहर निकलने के सूत्र भी दिए गए हैं। श्री चन्द्रप्रभ व्यक्ति के चार्ज करेंजिंदगी किसी एक पहलू को ही विकसित देखना नहीं चाहते हैं, वरन् उसके श्री चन्द्रप्रभ ने इस पुस्तक में जीवन के हर पल को आनंद और समग्र व्यक्तित्व का निर्माण चाहते हैं। इस हेतु वे पहले चरण में लक्ष्य उत्सव के साथ जीने के वे अनमोल सूत्र दिए हैं जिन्हें अपनाकर इंसान संधान व पुरुषार्थ करने, दूसरे चरण में मन के बोझ उतारने, तीसरे चरण उतार-चढ़ाव और भागमभाग भरी जिंदगी को भी सार्थक आयाम दे में औरों का दिल जीतने. चौथे चरण में प्रतिक्रियाओं से परहेज रखने. सकता है। जिंदगी का शायद ही ऐसा कोई पहलू बचा होगा जिसके पाँचवें चरण में भय का भत भगाने, छठे चरण में स्वस्थ सोच के स्वामी बारे में इस पुस्तक में सार रूप में मार्गदर्शन न दिया गया हो। घर, बनने व अंतिम चरण में सकारात्मक जीवन-दृष्टि अपनाने की प्रेरणा परिवार, रिश्ते-नाते, बच्चों का भविष्य, नारी, पति-पत्नी, सफलता, देते हैं। श्री चन्द्रप्रभ का मानना है, "अगर व्यक्ति हर कार्य को प्रभु की कॅरियर, अर्थ-प्रबंधन, व्यक्तित्व विकास, पुरुषार्थ, जीवन-शक्ति, पजा मानते हए हर समय व्यस्त व हर हाल में मस्त रहना सीख जाए तो व्यापार, व्यवहार, क्रोध पर विजय, खुशियों भरा जीवन, भाषा शैली, लक्ष्य की राह आसान हो जाती है और पुरुषार्थ की शक्ति स्वतः प्रकट धर्म, प्रार्थना, प्रभु-भक्ति और आत्मविकास के हर बिन्दु पर सीधे दिल होने लगती है।" श्री चन्द्रप्रभ की यह पुस्तक न केवल शाब्दिक दृष्टि को छूने वाली और दिमाग को झकझोरने वाली बातें कही गई हैं। यह सेवरन अर्थ की दृष्टि से भी सीधे हृदय को छने वाली है, जीवन के बारे पुस्तक पढ़ने मात्र से व्यक्ति चमत्कृत हो उठता है। जब भी लगे कि में सोचने के लिए विवश करती है और जिंदगी को केवल काटने की जिंदगी की बैटरी डिस्चार्ज हो गई है आप इस पुस्तक का कोई भी एक बजाय कुछ कर गुज़रने की प्रेरणा देती है। पन्ना पढ़ डालिएगा, आप पाएँगे जैसे जिंदगी पूरी तरह से रिचार्ज हो शांति पाने का सरल रास्ता चुकी है। ___ इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने शांति, सिद्धि और मुक्ति पाने का व्यक्तित्व-निर्माणपरक साहित्य सरल मार्गदर्शन दिया है। वे स्वयं शांतिदूत हैं और उनका पहला संदेश (1) कैसे बनाएँ समय को बेहतर (6) सकारात्मक सोचिए, है : शांत बनो। उन्होंने इस पुस्तक में शांति पाने के आधारभूत तत्त्व, (2) लक्ष्य बनाएँ, सफलता पाएँ सफलता पाइए बाधक तत्त्व और उसके परिणामों पर विस्तृत व्याख्या की है। वे शांति (3) शांति पाने का सरल रास्ता (7) कैसे करें आध्यात्मिक का संदेश देने से पहले यह प्रश्न उठाते हैं कि व्यक्ति सोचे कि उसे क्या (4) क्या करें कामयाबी के लिए विकास और तनाव से बचाव चाहिए? उन्होंने शांति का महत्त्व बताते हुए मन में शांति का चैनल (5) आपकी सफलता आपके हाथ (8)कैसे करें व्यक्तित्व विकास चलाने. मस्कानप्रिय बनने, सहजता व सजगता को अपनाने, ध्यान, (9) कैसे पाएँ मन की शांति (12) कैसे जिएँ चिंता एवं योग और जीवनोपयोगी धर्म को जीवन से जोडने की प्रेरणा दी है। श्री (10) कैसे बनाएँ अपना कॅरियर तनावमुक्त जीवन चन्द्रप्रभ शांति की साधना करने के लिए हर किसी को प्रेरित करते हैं। (11) सफल होना है तो... (13) कैसे खोले किस्मत के ताले उन्होंने शांति को जीवन का मख्य ध्येय होना बताया है। मानसिक शांति संबोधि टाइम्स > 39 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003893
Book TitleSambdohi Times Chandraprabh ka Darshan Sahitya Siddhant evam Vyavahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantipriyasagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2013
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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