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पाने के लिए यह पुस्तक रामबाण औषधि की तरह है।
सबका आधार सोच को बताया है। उन्होंने गाँधी के विश्व प्रसिद्ध तीन क्या करें कामयाबी के लिए
बंदर - बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो के साथ चौथा बंदर
'बुरा मत सोचो' देकर विश्व को नई देन दी है। इस पुस्तक में न केवल इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने कामयाब होने के 365 सरल गुर
सकारात्मक-नकारात्मक सोच के परिणाम बताए गए हैं वरन् व्यक्ति थमाए हैं। वे कहते हैं,"हर इंसान कामयाब होना चाहता है। विद्यार्थी अध्ययन में, व्यापारी व्यापार में, साधक साधना में, पर कामयाब वे ही
को नकारात्मकता से मुक्त होने के लिए सरल गुर भी दिए गए हैं। इस
पुस्तक में साधारण सोच से ऊपर उठाकर असाधारण सोच का मालिक हो पाते हैं जिनके भीतर कामयाब होने की भरपूर ऊर्जा, उमंग व उत्साह होता है। कामयाब होने वाले कोई नया काम नहीं करते वरन् हर काम
बनाने के साथ कामयाबी, आत्मविश्वास, बेहतर स्वभाव और स्वयं को
सार्थक दिशा देने के विषयों पर भी श्रेष्ठ विश्लेषण दिया गया है। को नए तरीके से करते हैं।" 'क्या करें कामयाबी के लिए' पुस्तक श्री चन्द्रप्रभ के व्यक्तित्व
इस पुस्तक से सिद्ध होता है कि श्री चन्द्रप्रभ सकारात्मक सोच के निर्माण के संदेशों का सार-संकलन है जो नई पीढ़ी को कामयाबी
धनी हैं। उन्होंने सोच व सफलता को अनुभवों की आँच में पकाकर दिलाने के साथ जीवन जीने की कला सिखाती है और मानवता को
आम जनता को इससे रूबरू करवाया है। जिन्हें विकास के सही मार्ग आध्यात्मिक दिशा प्रदान करती है। इस पुस्तक में भारी-भरकम बातें
की तलाश है उनके लिए यह पुस्तक अमृत की तरह है। धर्म, समाज, नहीं, केवल पते की चार बातें हैं, पढो, अपनाओ, जीयो और कर लो
परिवार, राष्ट्र एवं विश्व की हर समस्या का समाधान सकारात्मक सोच
से कैसे हो सकता है इसका इसमें प्रायोगिक विवेचन हुआ है। यह मात्र दुनिया मुट्ठी में।
पुस्तक नहीं बल्कि इसका एक-एक शब्द निष्प्राण चेतना को प्राणवंत वास्तव में, यह पुस्तक 1 दिन नहीं, 365 दिन प्रेरणा का प्रकाश
करने की औषधि है। जिनके भीतर आगे बढ़ने की ललक है, उनके दीप थमाती है। इसमें हर दिन के लिए नई बात लिखी गई है। जब भी
लिए यह पुस्तक ख़ज़ाना है। हम जगें, पुस्तक को खोलें, पढ़ें और आत्मसात कर लें, हम पाएँगे ये वचन हताश अर्जुन में नई जान फूंकने वाले कृष्ण का काम करेंगे, तब
कैसे करें आध्यात्मिक विकास और तनाव से बचाव फिर हर दिन हमारे जीवन में नई गीता जन्म लेगी, नया युद्ध होगा और इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने वर्तमान जीवन की परिस्थितियों का नई जीत होगी। यह पुस्तक अपने आप में सफलता, कॅरियर, जिक्र करते हुए तनाव के मुख्य कारणों का विशद विवेचन किया है। व्यक्तित्व-निर्माण और जीवन विकास को अपने में समेटे हुए उन्होंने तनाव-मुक्ति के ऐसे सरल-सटीक समाधान दिए हैं, जिसे हर उत्साहवर्धक संजीवनी है। हम इसे अपने पास, अपने साथ रखें जो कोई आसानी से अपना सकता है। उन्होंने तनाव मुक्ति के साथ सच्चे मित्र की तरह हमारी रक्षा करेगी।
आध्यात्मिक विकास के लिए योगासन, प्राणायाम और ध्यान के आपकी सफलता आपके हाथ
वैज्ञानिक प्रयोगों की भी व्याख्या की है। उन्होंने भगवान महावीर द्वारा
प्रतिपादित लेश्या-विज्ञान का भी विश्लेषण प्रस्तुत किया है। आज इस पुस्तक में सफलता के शिखर तक पहुँचने की कला सिखाई
व्यक्ति से परिवार तक, परिवार से समाज, समाज से देश और देश से गई है। इसमें श्री चन्द्रप्रभ के ऊर्जा भरे प्रवचनों का संकलन है। उन्होंने
विश्व तक तनाव की बीमारी पाँव पसार चुकी है। ऐसी स्थिति में बेहतर इसमें श्रम, संघर्ष और कर्मयोग का पाठ सिखाया है। श्री चन्द्रप्रभ का
जीवन भविष्य का निर्माण करने के लिए यह पुस्तक बेहद उपयोगी है। मानना है, "पहले 'क' आता है फिर 'ख' अर्थात् पहले कीजिए फिर
तनाव मुक्ति के सरल प्रयोगों की प्रस्तुति इस पुस्तक की मुख्य विशेषता खाइए, कर्मयोग से जी मत चुराइए। जो कर्मयोग में सदा तत्पर रहते हैं,
है। यह पुस्तक व्यक्ति को उसके जीवन की हकीकतों से मुलाकात सफलता स्वयं उनके चरण चूमती है।" श्री चन्द्रप्रभ ने सफलता के
कराती है इसलिए यह पुस्तक वर्तमान इंसान के लिए अनोखा उपहार साथ-साथ संस्कारों के बीज भी जीवन में बोने की प्रेरणा दी है। निश्चय ही, यह पुस्तक न केवल सफलता की ओर बढ़ने वालों के
कैसे करें व्यक्तित्व-विकास लिए प्रकाश-दीप का काम करती है वरन् जो असफल होकर हताशा व निराशा की जिंदगी जी रहे हैं उनके लिए भी यह पार लगाने वाली नाव
प्रस्तुत पुस्तक रंग की बजाय ढंग और सूरत की बजाय सीरत को का काम करती है। इन अध्यायों में सफलता के लिए उत्साह,
निखारने का बेहतरीन मार्गदर्शन प्रदान करती है। पुस्तक में बालआत्मविश्वास, सकारात्मक सोच व हर पल प्रसन्नता को अनिवार्य
मनोविज्ञान के अनगिनत रहस्य उजागर हुए हैं। बालकों के व्यक्तित्व माना गया है। यह पुस्तक जीवन में पलने वाली हर तरह की
के विकास में स्वयं उनकी एवं माता-पिता की क्या भूमिका हो सकती नकारात्मकताओं से और तनाव से उबरने का भी मार्ग देती है।
है इस पर श्री चन्द्रप्रभ ने सुंदर मार्गदर्शन दिया है। प्रस्तुत पुस्तक
जीवन-निर्माण, व्यक्तित्व-विकास, कॅरियर और भावनात्मकसकारात्मक सोचिए,सफलता पाइए
विकास के लिए टॉर्च का काम करती है। इस पुस्तक में श्री चन्द्रप्रभ ने सकारात्मक सोच पर विस्तृत रूप से
वास्तव में, आज का बालक आधुनिक हो गया है। 5-6 साल की प्रकाश डाला है। वे सुखी, सफल एवं मधुर जीवन का पहला मंत्र
छोटी उम्र में वह टी.वी., कम्प्यूटर, इंटरनेट जैसी वैज्ञानिक टेक्नोलॉजी सकारात्मक सोच को मानते हैं। क्या है सकारात्मक सोच? कैसे बनाएँ
से बहुत कुछ सीख जाता है। वह न केवल इनसे ज्ञान का विकास करता सोच को सकारात्मक, क्या हम सकारात्मक सोच के मालिक बन
है वरन् अनेक अच्छे-बुरे संस्कारों को भी सीख लेता है। ऐसे में बच्चों सकते हैं? इन्हीं प्रश्नों का समाधान इस पुस्तक में निहित है। श्री
के लिए किस तरह बेहतर मार्गदर्शक की भूमिका निभाई जाए, इसके चन्द्रप्रभ ने इंसान क्या बनेगा, कैसा बनेगा, कितना सफल होगा? इन।
लिए यह पुस्तक सौ प्रतिशत खरी उतरती है। श्री चन्द्रप्रभ की जिंदगी 140 » संबोधि टाइम्स
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