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________________ उनमें कुछ भजन तो राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चित हुए हैं। आत्मा-परमात्मा, स्वर्ग-नरक, मोक्ष से जुड़े विचार-दर्शन को उनके भजन लोगों की जबान पर रहते हैं, कुछ पंक्तियाँ तो मोबाइल की प्रतिपादित करने की बजाय जीवन से जुड़ा सिद्धांत एवं विचार-दर्शन टॉन भी बनी हुई हैं। जब वे भजन गाते हैं तो जनता झूमने को विवश हो प्रस्तुत किया है जो उनकी मौलिक दृष्टि को उजागर करता है। जाती है। उन्होंने शताधिक भजनों की रचना की है। हर भजन में नई श्री चन्द्रप्रभ ने न केवल जीवन को सर्वाधिक महत्त्व दिया है वरन् चेतना और नई प्रेरणा है। उन्होंने हिन्दी में अनेक स्तोत्रों और इकतीसों उसे धरती का पहला जीवित शास्त्र भी माना है। सभी संत धर्मशास्त्रों की रचना की है जो आज घर-घर में सुबह की आराधना में गाए और को पढ़ने और परमात्मा से प्रेम करने की प्रेरणा देते हैं, पर उन्होंने पढ़े जाते हैं। अष्टावक्र गीता के अठारह अध्यायों को मात्र अठारह धर्मशास्त्रों से पहले जीवन का पारायण करने और परमात्मा से पहले श्लोकों में आबद्ध कर लेना उनकी ऋतम्भरा प्रज्ञा का परिणाम है। जीवन से प्रेम करने की प्रेरणा देकर नई पहल की है। वे जीवन को धर्म उन्होंने जैन धर्म के महान स्तोत्र भक्तामर पर हिन्दी में प्रभावशाली और संन्यास से भी ऊपर रखते हैं। अब तक धर्म को जीवन से श्रेष्ठ चौपाइयाँ लिखी हैं। उन्होंने जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकरों पर चौबीस माना गया और सम्प्रदायवाद के नाम पर जीवन को कुचल दिया गया। स्तुतियों एवं गीतों की भी रचना की है। इसलिए तो कहा जाता है - ऐसी परिस्थिति में श्री चन्द्रप्रभ का यह कहना बहुत मायने रखता है, संत चन्द्रप्रभसागर तुमने, "धर्म का जन्म मनुष्य के लिए हुआ है न कि मनुष्य का जन्म धर्म के गीतों में क्या कमाल किया है। लिए।" उन्होंने जीवन की महत्ता सिद्ध करने के साथ खुशनुमा जीवन वाणी में वीणा सरसाती, जीने की कला भी सिखाई है। भौतिकता की अंधी दौड़ में मनुष्य ने तबले जैसा ताल दिया है। सुविधाओं को तो बटोर लिया, पर उसकी हँसी और खुशी गायब हो गई वास्तव में, श्री चन्द्रप्रभ की दार्शनिक दृष्टि एवं लिखा गया है। ऐसी स्थिति में श्री चन्द्रप्रभ ने हँसते-मुस्कुराते हुए जीवन जीने के साहित्य अनुपम और बेजोड़ है। साहित्य एवं ज्ञान की विपुलता एवं अनेक कीमिया मंत्र बताकर मानवजाति को जीवन जीने का सही - सार्थक रास्ता दिया है। विस्तार की दृष्टि से देखा जाए तो श्री चन्द्रप्रभ अपने आप में एक चलते-फिरते एनसाइक्लोपीडिया हैं। श्री चन्द्रप्रभ के दर्शन में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक एवं श्री चन्द्रप्रभ का सिद्धांत एवं विचार-दर्शन नामक चौथे अध्याय से भावनात्मक स्वास्थ्य के सूत्र भी प्राप्त होते हैं। वे स्वस्थ जीवन हेतु तप एवं भोग की अतिवादिता से बचने और इन्द्रिय संयम तथा मानसिकपता चलता है कि श्री चन्द्रप्रभ का सिद्धांत एवं विचार-दर्शन सशक्त, शुद्धि पर जोर देते हैं। एक तरह से वे मध्यम मार्ग सिद्धांत के पक्षधर हैं। वैज्ञानिक, तर्कयुक्त, परिमार्जित एवं सकारात्मकता की आभा लिए हुए है। श्री चन्द्रप्रभ के जीवन में महावीर की साधना, बुद्ध की मध्यम श्री चन्द्रप्रभ के दर्शन की यह विशेषता है कि वे इंसान की आध्यात्मिक समृद्धि के साथ उसकी भौतिक समृद्धि में भी विश्वास दृष्टि, कबीर की क्रांति, मीरा की भक्ति और आइंस्टीन की वैज्ञानिक रखते हैं। उनके जीवन-दर्शन में भौतिक ऊँचाइयों को छूने का सच्चाई है। उन्होंने उन्हीं सिद्धांतों एवं विचारों को प्रतिपादित किया है मार्गदर्शन भी विस्तार से प्राप्त होता है। प्रायः संत या धर्मगुरु जो वर्तमान जीवन को सुखी, सफल और मधुर बनाते हैं एवं उज्ज्वल आध्यात्मिक विकास का मार्ग बताते हैं, पर श्री चन्द्रप्रभ ने सफलता भविष्य की नींव तैयार करते हैं। उन्होंने धार्मिक एवं आध्यात्मिक पाने और समृद्ध बनने की प्रेरणा देकर क्रांतिकारी पहल की है। समाज मूल्यों को युगीन भाषा में प्रस्तुत किया है, साथ ही अनुपयोगी तथ्यों को की कड़वी सच्चाइयों को उजागर करते हुए वे कहते हैं, "मैं धन छोड़ने नकारने का साहस दिखाया है। की बजाय धनवान बनने की प्रेरणा देता हूँ। आज के समाज में केवल श्री चन्द्रप्रभ के विचार-दर्शन की सबसे खास बात यह है कि अमीरों की इज्जत होती है। संत लोग भी पैसे वालों को तवज्जो ज्यादा उन्होंने धर्म शास्त्रों की व्याख्या करने की बजाय जीवन-जगत् के सूक्ष्म देते हैं। मंदिर की प्रतिष्ठा के समय प्रतिदिन प्रभ-पूजा करने वाले को रहस्यों को सरलता एवं उपयोगिता के साथ प्रस्तुत किया है। उन्होंने तो किनारे बिठा दिया जाता है और चढावा देने वालों को सर्वेसर्वा बना भौतिकता के बढ़ते प्रभाव से उत्पन्न समस्याओं का व्यावहारिक दिया जाता है। इसलिए हर व्यक्ति समृद्ध बने। अपरिग्रह का सिद्धांत समाधान दिया है। उन्होंने जीवन, व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, परिवार, धर्म, अमीरों के लिए है, गरीबों के लिए नहीं।" इस तरह उन्होंने समय समाज, अध्यात्म, राष्ट्र, विश्व से जुड़े हर पहलू पर मौलिक चिंतन सापेक्ष विचार प्रस्तुत कर परम्परागत ढर्रे से स्वयं को मुक्त किया है। . दिया है। साथ ही उनके सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पक्षों को उन्होंने कॅरियर और कामयाबी से जुड़ी एक दर्जन से अधिक पुस्तकें उजागर कर विश्व के नव निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लिखकर धर्मसमाज के सामने नया आदर्श प्रस्तुत किया है। देश का श्री चन्द्रप्रभ का जीवन-दर्शन वर्तमान युग के लिए वरदान स्वरूप युवावर्ग उनके सफलता से जुड़े साहित्य को बड़े चाव से पढ़ता है और है। उन्होंने जीवन के अनेक सक्ष्म रहस्यों को उद्घाटित कर आम उन्हें धर्मगुरु के साथ प्रबंधन गुरु के रूप में अधिक देखता है। श्री व्यक्ति के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की कोशिश की है। जीवन चन्द्रप्रभ की कॅरियर और कामयाबी से जुड़ी कुछ खास पुस्तकें इस सबको प्रिय है। चाहे कोई आत्मा-परमात्मा, स्वर्ग-नरक को माने या प्रकार हैं - 1. लक्ष्य बनाएँ, पुरुषार्थ जगाएँ। 2. क्या करें कामयाबी के माने, पर जीवन का सत्य सबके समक्ष है। हर कोई जीवन को आनंद लिए। 3. आपकी सफलता आपके हाथ। 4. सकारात्मक सोचिए उत्सव पूर्ण बनाना चाहता है और रोजमर्रा के जीवन में आने वाली सफलता पाइए। 5. कैसे बनाएँ अपना कॅरियर। 6. सफल होना है समस्याओं से छुटकारा पाना चाहता है। इन दोनों लक्ष्यों को साधने में पाना चाहता है। इन दोनों लश्यों को मामले में ता... तो...। उन्होंने इन पुस्तकों के अंतर्गत सफलता पाने के निम्न सूत्र दिए श्री चन्द्रप्रभ का जीवन-दर्शन खरा साबित हुआ है। श्री चन्द्रप्रभ ने संबोधि टाइम्स -141 Jain Education International For Personal & Private Use Only
SR No.003893
Book TitleSambdohi Times Chandraprabh ka Darshan Sahitya Siddhant evam Vyavahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantipriyasagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2013
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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