________________
है, वह राष्ट्र विकास की बुलंदियों को छूता है। पूरे विश्व में सबसे ज्यादा लिया था, अब भ्रष्टाचार के रावण को समाप्त करने के लिए अन्ना हजारे प्रतिभाएँ भारत में हैं। अगर आरक्षण के नाम पर देश की प्रतिभाओं पर ने जन्म लिया है। कभी महात्मा गाँधी के रूप में भगवान महावीर का ध्यान नहीं दिया गया तो इसका असर भारत के विकास पर पड़ेगा। हम पुनर्जन्म हुआ है। आज अन्ना के रूप में महात्मा गाँधी का पुनर्जन्म आरक्षण पर अंकुश लगाएँ और विकसित भारत के निर्माण में योगदान हुआ है। मैं अन्ना के नेतृत्व में हो रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध अहिंसक दें।" इस तरह श्री चन्द्रप्रभ ने देश के विकास के लिए जातिगत-दलगत आंदोलन को देखकर खुश हूँ। अगर भारत से 15 प्रतिशत भ्रष्टाचार भी राजनीति से ऊपर उठना और हर प्रतिभावान व्यक्ति को प्रोत्साहित कम होता है तो यह हमारी बहुत बड़ी जीत कहलाएगी। अब हर करके उसका उपयोग समाज, संस्कृति और राष्ट्र के लिए करना व्यक्ति, हर बच्चा राम बने तभी भ्रष्टाचार का अंत हो सकेगा।" आवश्यक माना है।
श्री चन्द्रप्रभ भ्रष्ट लोगों को धरती पर जीने का अधिकार देने के 2. भ्रष्टाचार - वर्तमान में भ्रष्टाचार भारत की सबसे बड़ी खिलाफ हैं। उन्होंने धरती को स्वर्ग बनाने के लिए भ्रष्टाचारियों को समस्या है। भ्रष्टाचार की जड़ें देश में इस तरह व्याप्त हो चुकी हैं कि खदेड़ने और भ्रष्टाचार का भाँडा फोड़ने की प्रेरणा दी है। उनका मानना सरकार और प्रशासन का कोई भी विभाग इससे अछूता नहीं रह पाया है,"जैसे कृष्ण ने कंस का संहार किया था, वैसे ही हमें भी भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार के चलते आम आदमी पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। इसके के कंस का संहार करना होगा। भ्रष्ट लोगों को धरती पर जीने का कोई चलते भारत की व्यवस्था और प्रगति दोनों प्रभावित हुए हैं। भारत की अधिकार नहीं है। भ्रष्टाचार होने के बावजूद भारत ने इतनी प्रगति कर सरकार भ्रष्टाचार को मिटाने की प्रति ढुलमुल रवैया अपनाती है। ली है ; सोचो, अगर भ्रष्टाचार न होता तो आज भारत अमेरिका की सरकारें भ्रष्टाचार को मिटाने का भाषण तो देती हैं, पर उसे मिटाने के तुलना में होता। हमारा जन्म लेना तभी सार्थक होगा जब हम भ्रष्टाचार प्रति गंभीर नहीं हैं। भ्रष्टाचार के विरुद्ध बने कानून सशक्त नहीं हैं। का भाँडा फोड़ डालेंगे। अगर हम सबने मिलकर भ्रष्टाचारियों को भ्रष्टाचारियों को कठोर सजा नहीं मिलती, परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार खदेड़ डाला तो जो प्रगति हमने पिछले 65 सालों में की है, वह प्रगति दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।
हम मात्र 15 सालों में कर लेंगे।" श्री चन्द्रप्रभ ने भ्रष्टाचार को मिटाने ___ श्री चन्द्रप्रभ के दर्शन में साम्प्रदायिकता और जातिगत संकीर्णता से का तरीका बताते हुए कहा है, "भारत से भ्रष्टाचार हटाने का एक भी बढ़कर आज की मूल समस्या भ्रष्टाचार को माना गया है। उन्होंने सशक्त तरीका यह हो सकता है, हर सरकारी दफ्तर में सरकार की ओर भारत जैसे आध्यात्मिक एवं धार्मिक देश में भ्रष्टाचार का होना चिंता से एक बोर्ड लगाया जाए जिस पर लिखा हो : रिश्वत देना या रिश्वत का विषय माना है। भारतीयों के दोहरे चरित्र पर व्यंग्य करते हए वे लेना अपराध है। यदि आपसे कोई रिश्वत माँगे तो ..... नंबर पर कहते हैं, "भारत में राम का नाम तो लिया जाता है, मगर राम की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से संपर्क करें।" इस तरह श्री चन्द्रप्रभ ने मर्यादा चली गई है। कृष्ण की पूजा तो जारी है, किन्तु कृष्ण का भ्रष्टाचार के स्वरूप, परिणाम और निवारण पर विस्तृत एवं क्रांतिकारी कर्मयोग छूट गया है। व्यक्ति भले ही माल की चोरी न करता हो, मगर विचार प्रगट किए हैं। कामचोर जरूर है। हमारे यहाँ महावीर की अहिंसा का नारा तो है, पर 3.गरीबी- गरीबी भी भारत की समस्याओं में प्रमुख समस्या है। मन में हिंसा का तांडव मिटा नहीं है। यहाँ नैतिकता मिटी है, और यद्यपि भारत में चारों ओर आर्थिक समृद्धि बढ़ी है, फिर भी गरीबी की भ्रष्टाचार बढ़ा है। भारत की मूल समस्या साम्प्रदायिकता या जातीयता समस्या पूर्णत: हल नहीं हुई है। गरीबी अनेक समस्याओं की जन्मदाता नहीं है, अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार है।" उन्होंने दिन-ब-दिन उजागर है। श्री चन्द्रप्रभ के दर्शन में गरीबी को विश्व का अभिशाप कहा गया है। हो रहे घोटालों पर चिंता जाहिर की है। वे कहते हैं, "सी.आर.बी. वे कहते हैं, "धन-सम्पत्ति की निंदा करने वाले यह क्यों नहीं समझते घोटाला, हवाला काण्ड, दवा घोटाला, बैंक घोटाला, चारा घोटाला, कि गरीबी से बढ़कर कोई अभिशाप नहीं।" हर व्यक्ति को सम्पन्न यूरिया घोटाला, शेयर घोटाला, चाहे जो घोटाला हो हर घोटाले में पैसों बनने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा है, "गरीबी परिवार, समाज और का घोटाला ही छिपा हुआ है। चाहे कोई भी व्यक्ति हो, हर किसी को देश के लिए अभिशाप है। हर व्यक्ति पहले सम्पन्न बने फिर अपरिग्रह प्रदेश या राष्ट्र का मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री होने का पूरा-पूरा हक है, को जिए। समाज में अमीरों को सबसे पहले पूछा जाता है।" उन्होंने किन्तु सत्ता का शोषण करना, भ्रष्टाचार और घोटालों में लिप्त होना, अपरिग्रह के सिद्धांत से गरीबी की तुलनात्मक विवेचना भी की है। वे भारत की आत्मा पर कुठाराघात है, यह मानवता के समस्त मापदण्डों कहते हैं, "मैं अपरिग्रह का समर्थक हूँ, पर अपरिग्रह के सिद्धांत को की धज्जियाँ उड़ाना है।"
सम्पन्नता की मौलिक समझ के साथ स्वीकार किया जाए। गरीब व्यक्ति श्री चन्द्रप्रभ ने रावण के पुतलों को फूंकने की बजाय राम बनकर के लिए संतोष या अपरिग्रह खतरनाक है। पहले वह सम्पन्न बने और भ्रष्टाचार के रावण को फूंकने की प्रेरणा दी है। उन्होंने समाज-सेवी फिर त्याग के मार्ग को अपनाए। गरीब आदमी अगर संतोष धारण कर अन्ना हजारे द्वारा 16 अगस्त 2011 को भ्रष्टाचार के विरुद्ध किए गए लेगा तो अपने जीवन की ऊँचाइयों को छूने से वंचित रह जाएगा, वहीं अहिंसक आंदोलन का न केवल समर्थन किया वरन उन्हें महात्मा गाँधी अमीर के लिए संतोष उसके जीवन की शांति और सम्पूर्णता के लिए का पुनर्जन्म बताया है। उनका मानना है, "अब घर-घर में रावण पैदा सहयोगी है। अगर वह व्यर्थ की लालसाओं में पड़कर जीवन के अंतिम हो गए हैं जो घर और समाज को तोड़ रहे हैं, और संसद में बैठे रावण चरण तक पैसा ही पैसा करता रहेगा तो यह उसके लिए हानिकारक हो भ्रष्टाचार फैला रहे हैं। लंका का रावण तो मर गया, पर भ्रष्टाचार का जाएगा।" रावण पैदा हो गया। पहले रावण को मारने के लिए राम ने अवतार श्री चन्द्रप्रभ ने धर्मनीति और गरीबी के अंतर्संबंध की विवेचना की
1132 संबोधि टाइम्स
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org