________________
मीटिंग यानी नेतागिरी। समाज में ज्यादा मीटिंग होनी ही नहीं चाहिए। बराबर हों, न कोई छोटा हो, न कोई बड़ा। समाज में एक ही नारा होमीटिंग का मतलब है : तू-तू, मैं-मैं ; बात का बतंगड़। अगर मीटिंग हम सब साथ-साथ हैं । आज हिन्दुस्तान में अगर हिन्दू-मुस्लिम लड़ना करनी ही हो तो पहले यह निर्णय लेकर मीटिंग में उतरना चाहिए कि छोड़ दें, वे हिन्दुओं को भी खुदा का बनाया हुआ और मुसलमानों को काम को कैसे मूर्त रूप दिया जाए। अच्छी मानसिकता के साथ मीटिंग भी ईश्वर का बनाया हुआ स्वीकार कर लें तो हिन्दुस्तान का भाग्य ही करोगे तो अच्छे परिणाम आएँगे, नहीं तो मीटिंग का परिणाम केवल सँवर जाए।" इस तरह श्री चन्दद्रप्रभ ने समाज के लिए समानता के हो-हल्ला भर होगा। समाज में वही व्यक्ति आकर पंचायत करे, जो सिद्धांत को अनिवार्य बताया है। सक्रिय और सकारात्मक नजरिया रखता हो।" इसी तरह श्री चन्द्रप्रभ3.संगठन और समन्वयका सिद्धांत - श्री चन्द्रप्रभ ने सामाजिक ने तपस्या, सत्संग, भीड़ इकट्ठी करने के नाम पर हवाई जहाज से फ विकास के लिए समाज में एकता, संगठन व समन्वय होना आवश्यक लों को बरसाना और अहिंसा का नारा लगाने वालों के द्वारा की जा रही बताया है। वे सामाजिक एकता के लिए निम्न सूत्र अपनाने का भ्रूण हत्याओं को न केवल गलत माना है, वरन् उन्हें समाज के लिए मार्गदर्शन देते हैं - चिंताजनक भी बताया है।
1.समाज में ऐसी संस्थाएँ स्थापित हों जो सामाजिक एकता का कार्य श्री चन्द्रप्रभ ने समाज की कड़वी सच्चाइयों को उजागर किया है, करती हों। अनुचित परम्पराओं को अस्वीकार किया है। साथ ही समाज को नई 2. मंदिर वाले स्थानक में व स्थानक वाले मंदिर में जाएँ, जैनी राम दिशा देने व समाज के प्रत्येक व्यक्ति को ऊपर उठाने के लिए जिन के मंदिर में व हिन्दू महावीर के मंदिर में जाना शुरू करें । कभी मस्जिद सिद्धांतों को समाज में लागू करने की प्रेरणा दी है,वे इस प्रकार हैं - के आगे से गुजरें तो भी सिर झुकाकर चलें।
1.सहयोगका सिद्धांत - श्री चन्द्रप्रभ ने सामाजिक उत्थान के लिए 3.संत भी आपस में निकट आएँ, परस्पर विनम्रता भरा व्यवहार करें। सहयोग के सिद्धांत को अपनाने का मार्गदर्शन दिया है। उनका कहना है, 4. समाज का हर कार्य सर्वसम्मति से हो। ऐसा कोई भी काम न करें, "हम सौ मंदिर नहीं बना सकते तो कम-से-कम दस लोगों को पाँवों पर जिससे लोगों के दिलों को ठेस पहुँचती हो। खडा तो कर ही सकते हैं। समाज के कमजोर लोगों को योग्य बनाना ईश्वर 5.अमीर और गरीब व्यक्ति की बेटी की शादी समान तरीके से हो। की सच्च्ची सेवा और तीर्थंकर गोत्र का उपार्जन करना है।" उन्होंने कमजोर इस विवेचन से स्पष्ट होता है कि श्री चन्द्रप्रभ समाज के लोगों को ऊपर उठाने के लिए निम्न सूत्र दिए हैं -
सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं से पूरी तरह सुविज्ञ हैं। 1.हर समाज प्रतिवर्ष धर्म के नाम पर इकटठा होने वाले चंदे में उन्होंने समाज की हर परिस्थिति का पक्षपात-मुक्त होकर विवेचन से दस प्रतिशत भाग अलग निकालकर रख दे और उस राशि से बैंक किया है। वे न केवल समाज के यथार्थ पहलुओं से अवगत करवाते हैं, बनाकर जरूरतमंद भाइयों को बिना ब्याज के ऋण की सुविधा दे, शिक्षा वरन् सामाजिक उत्थान के लिए सरल एवं जीवंत मार्गदर्शन भी देते हैं। हेतु छात्रवृत्ति दे, विधवा औरतों और विकलांगों को छोटे-मोटे घरेलू उनके द्वारा समाजोत्थान के लिए दिए गए सहयोग, समानता, संगठन व उद्योगों के लिए प्रोत्साहन दे।
समन्वय के सिद्धांत बहुत उपयोगी हैं। 2. हर सम्पन्न व्यक्ति एक कमजोर परिवार को गोद लेकर उसे
श्री चन्द्रप्रभ की राष्ट्र को देन पाँवों पर खड़ा करने का संकल्प ले। 3. यदि कोई अमीर नहीं है, पर पढ़ा-लिखा है तो गरीब, होनहार
श्री चन्द्रप्रभ का राष्ट्र-दर्शन दर्शन-जगत एवं भारतीय संस्कृति की
अमूल्य धरोहर है। उनके राष्ट्र-दर्शन ने राष्ट्रीय उत्थान में महत्त्वपूर्ण बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाए अथवा कोई कार्य विशेष में दक्ष है तो अपना हुनर दूसरों को सिखाकर सामाजिक उत्थान में सहयोगी बने।
भूमिका निभाई है। श्री चन्द्रप्रभ राष्ट्र-भक्त हैं। वे भारतीय संस्कृति से
अगाध प्रेम रखते हैं। उन्होंने भारतीय संस्कृति के विलुप्त हो रहे नैतिक 4.हर समाज अपने विद्यालय और महाविद्यालय जरूर बनाए,
मूल्यों को नई दृष्टि से प्रसारित किया है। वे नैतिक मूल्यों को नए ढंग से गरीब एवं कमजोर छात्रों को आगे पढ़ने में पूरी सहायता करे। अगर
आम जनता के सामने रखते हैं। जनमानस को नैतिक मूल्यों की ओर समाज में सौ बेहतर अधिकारी एवं प्रबुद्ध लोगों का निर्माण होता है, तो
आकर्षित कर पाने में वे सफल हुए हैं। श्री चन्द्रप्रभ ने भारतीय संस्कृति यह सौ मंदिरों बनाने जितना पुण्यकारी होगा।
की उज्ज्वल परम्परा एवं वर्तमान भारत की तुलनात्मक विवेचना कर 5. हर समाज अपना एक अस्पताल बनाए। अगर कोई गरीब
नई दृष्टि देने की कोशिश की है। पक्षपात मुक्त होकर राष्ट्र की बड़ा ऑपरेशन नहीं करवा पाए तो समाज उसका सहयोगी बने।
समस्याओं पर दिए गए उनके बहुमूल्य विचार हर व्यक्ति को सोचने 6. आपके मोहल्ले में किसी गरीब विधवा महिला की बेटी की और जीवन में परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करते हैं। श्री चन्द्रप्रभ ने शादी हो तो कन्यादान करने का लाभ जरूर लें।
भारतीय संस्कृति का स्वरूप, भारत देश की समस्याएँ, समस्याओं का ___7. हर पुरुष प्रतिदिन 10 रुपये और हर महिला दो मुट्ठी आटा कारण एवं समाधान के उपायों पर जो चर्चा की है उसका इस अध्याय निकाले और उससे औरों का अथवा पशु-पक्षियों का पेट भरें। में विस्तार से विवेचन किया जा रहा है -
2. समानता का सिद्धांत - श्री चन्द्रप्रभ ने सामाजिक उत्थान के श्री चन्द्रप्रभ ने भारत, हिन्दुत्व, राष्ट-प्रेम जैसे शब्दों को युगीन लिए दूसरे सिद्धांत के रूप में समानता को अपनाने की बात कही है। वे संदर्भो में परिभाषित किया है। उन्होंने व्यक्ति के भीतर भारतीयता पर कहते हैं, "समाज समानता के धरातल पर कायम हो, समाज में सब गौरव करने की भावना जागृत की है। कहते हैं, "हम भारतीय हैं, हमें
130 » संबोधि टाइम्स
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org