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ऊर्जा का समीकरण
जीवन ही जीवन का सबसे बेहतरीन मूल्य है । जीवन से बढ़कर उसका और कोई मूल्य नहीं है । जिस व्यक्ति की निगाहें जीवन मूल्यों पर टिकी हैं, वही संसार का सबसे ज्यादा जीवंत पुरुष है । जीवन तो वह जीवन है, जो मृत्यु के पार होता है ।
हम सब लोगों के भीतर एक ऐसा जीवन है, जिसकी कभी भी मृत्यु नहीं होती । जिसकी मृत्यु होती है, उसका जीवन के साथ कोई सम्बन्ध ही नहीं है । जीवन की मृत्यु नहीं होती, मृत्यु तो शरीर की होती है, विचारों की होती है, मन की होती है, और उनकी मृत्यु हो भी जानी चाहिए । यदि किसी का शरीर मर रहा है तो गम नहीं, परन्तु जहाँ जीवन-मूल्यों पर आघात लगता है, वहीं व्यक्ति की भीतर से मृत्यु हो जाती है । यदि शरीर खण्डहर हो रहा हो, यदि, विचारों की मृत्यु हो रही हो, मन किसी मरघट पर जाकर शरीर का अन्तिम संस्कार करवा रहा हो, वह जीवन की सबसे बड़ी खुशहाली की घटना है ।
जीवन तो बस चलता हुआ प्रवाह है । जन्म से पहलें भी यह प्रवाह तो था और जन्म के बाद भी यह प्रवाह जारी है । यह प्रवाह तो मृत्यु के बाद भी जारी रहेगा । तालाब सिकुड़ सकता है, मगर नदी नहीं । जन्म से पहले भी प्रवाह मिल रहा है, मृत्यु के बाद भी प्रवाह जारी है । जीवन एक प्रवाह है । प्रवाह का नाम ही जीवन है
वे
जो लोग अपने प्रवाह में डूबना चाहते हैं, लीन होना चाहते हैं, या तो गंगासागर की यात्रा करते हैं या फिर गंगोत्री की । गंगा के बीच रहना जीवन की जीवन्तता नहीं है । अपनी नौका या तो गंगोत्री की ओर ले जाओ या फिर गंगासागर की ओर । गंगोत्री की ओर जाना महाशून्य
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