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चलें, मन-के-पार से कोई मतलब नहीं है । यह तो सिर्फ रटन होगी । जिन्दगी का असली वेद तो तभी पैदा होता है जब व्यक्ति अपने चारों तरफ वेदना महसूस करता है । इसलिए जीवन का प्रसाद कभी सुख की घड़ियों में नहीं मिलता | जीवन का प्रसाद हमेशा दुःख की घड़ियों में मिलता है । मैं तो भगवान से हमेशा यही प्रार्थना करता हूँ कि मुझे हमेशा एक-न-एक आफत दिये रहना, ताकि मैं जीवन में वेदना का अनुभव करता रहूँ । वेदना के उन क्षणों में ही मैं जीवन का असली अनुभव प्राप्त कर सकूँगा । अपने द्रष्टा और साक्षी भाव को पाऊँगा । दुःख की घड़ियों में भी शांत रहना असली आनन्द को प्रगट करने का आधार है ।
___ व्यक्ति के चारों तरफ सुख-ही-सुख है, आनन्द-ही-आनन्द है तो कुछ नहीं होगा । फकीर ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि यह ताबीज तब ही खोलना जब चारों तरफ से दुःख के बादल घिर आएँ और तुम निराश हो जाओ, कोई रास्ता न बचे । फकीर ने सम्राट को ताबीज दे दिया । अब राजा को जब-तब उस ताबीज की याद आ जाती और उसमें बंधा मंत्र खोलकर पढ़ने की वह इच्छा करता, मगर साथ ही उसे फकीर की शर्त भी याद हो आती ।
काफी दिन बीत गए । राजा ताबीज को भूल गया । दुर्योग से पड़ौसी देश के राजा ने उस राजा पर हमला कर दिया । राजा बहादुरी से लड़ा, मगर हार गया और अपने घोड़े पर जान बचाकर भागा । दुश्मन के सिपाही भी उसके पीछे अपने घोड़े दौड़ा रहे थे । उनके घोड़ों की टापों से राजा डरता-डरता भागा जा रहा था । आखिर राजा ऐसी जगह पहुँच गया जहाँ से आगे रास्ता बन्द था । उसने सोचा कि अब क्या होगा ? अब तो मारे गए । दुश्मन के सिपाही अपने घोड़ों पर उसकी तरफ बढ़ते चले आ रहे थे ।
__ अचानक राजा का हाथ अपनी बांह पर गया और ताबीज याद आ गया । फकीर ने कहा था कि जब अपने आपको चारों तरफ से. असहाय महसूस करो तब इस ताबीज को खोलकर उसमें लिखा मंत्र पढ़ना । राजा ने तुरन्त ताबीज खोला और उसमें रखा मंत्र निकालकर पढ़ा । उस कागज पर लिखा था- 'यह भी बीत जाएगा' । राजा को यह पढ़ते ही एकान्त नई शक्ति प्राप्त हो गई और उसने पाया कि दुश्मन के सिपाही के घोड़ों की टापें भी अब सुनाई नहीं दे रही हैं । राजा ने अब चैन की सांस ली और सोचा कि मैं राजा था वह समय भी नहीं रहा और अब राजा नहीं हूँ | यह समय भी नहीं रहेगा
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