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________________ १२४ चलें, मन-के-पार अच्छा भाषण देता है, मगर उसका कोई मतलब नहीं है । क्योंकि उसे पता ही नहीं है कि वह क्या बोल रहा है । बुद्धि का प्रयोग तो पागल भी करता है मगर उसका सही उपयोग तभी कहलाएगा जब बुद्धि सही मार्ग पर चलेगी । इस मायने में तो हम सब बुद्ध ही कहलाएँगे, क्योंकि बुद्धि का उपयोग किया, अनुभव भी खूब बटोरे मगर आज हमसे कोई यदि जीवन का उपसंहार पूछ ले तो हम बगलें झांकने लगेंगे । ___ जीवन में छोटी-छोटी घटनाएं तो खूब घटती हैं, पर आत्म-सम्बुद्ध वही है जो छोटी-छोटी घटनाओं से भी विराट तत्त्व के आत्म-सूत्र पा लेता है । जरा कल्पना करें- जिन-जिन साधकों को बोध की प्राप्ति सम्बोधि की अनुभूति हुई वे कैसे रहे होंगे ? जो काम कोई बुद्ध-पुरुष न कर सका होगा, वही काम जीवन में घटने वाली छोटी-सी घटना कर जाती है । यही तो जीवन की विशेषता है । जीवन के चारों तरफ सत्य बिखरे पड़े हैं । वेद लिखे हुए हैं । जीवन को समझने के लिए किसी वेद या उपनिषद् को पढ़ने की . बजाय केवल ठीक-ठीक देखने की आदत डाल लें । जीवन में घटने वाली घटनाओं को समझने की आदत जरूरी है । जिसे महावीर सम्यक् दृष्टि कहते हैं, बुद्ध सम्यक् स्मृति कहते हैं, वही तो मौलिक चीज है । ठीक-ठीक देखने की आदत बन जाए तो सागर के पास जाने की जरूरत ही नहीं है । हर बूंद में सागर के दर्शन होंगे । जीवन में होने वाली घटनाओं से, जीवन में पाए जाने वाले अनुभवों से वह व्यक्ति बूंद में भी अपने पास सागर पाएगा । अपने चारों ओर वेद लिखा हुआ पाएगा । वह व्यक्ति सत्य के फूलों को अपने चारों ओर बिखरा हुआ पाएगा । सत्य की साधना के लिए, जीवन की मुक्ति के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है । कहीं जाकर पद्मासन लगाने की भी जरूरत नहीं है । सांसों को रोककर तपस्या करने की भी जरूरत नहीं है । समाधि का मतलब यह कभी नहीं है कि कहीं पर जाकर पाँच-पाँच घण्टे आँख बन्द करके बैठ जाएँ । साईबेरिया में सफेद भालू होते हैं । वे दुनिया में आश्चर्य गिने जाते Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003892
Book TitleChale Man ke Par
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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