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________________ पूर्व सूचना थी, इसलिये सारा चर्च खचाखच भरा था । अभिनेत्री ने पादरी से कहा, लोग कितने धार्मिक हो रहे हैं । इतने लोग चर्च में आये हैं । शायद संसार में यही ऐसा चर्च होगा जहाँ इतने लोग आते पादरी ने कहा, जी ! क्षमा करें, यह भीड़ चर्च के लिये नहीं, आपके लिये आयी है। किसी दिन आप बिना शोर शराबे के यहाँ आयें, देखें, मेरे सिवा कोई न मिलेगा। यहाँ चिन्ता इस बात की नहीं है, कि परमात्मा मंदिर में, मिलता है या चर्च में मिलता है । परमात्मा तो हर जगह में मिलता है । पर व्यक्ति परमात्मा को ढंढ़ने के लिये तो जाये । अगर जीवन को गौर से देखा जाये तो प्यास अपने आप उठेगी | ___ व्यक्ति बाहर की खोज व्यर्थ साबित होने पर भीतर की खोज प्रारंभ करता है । लेकिन तब भीतर की खोज नाकामयाब हो जाती है, जब ऊर्जा समाप्त हो जाती हैं | परमात्मा की खोज तब प्रारंभ करनी चाहिये, जब व्यक्ति शक्ति-पंज हो । शक्ति क्षीण होने पर न संघर्ष करने की शक्ति रहेगी, न उत्साह रहेगा । व्यक्ति धर्म की खोज तब प्रारंभ करता है, जब धन खोजते-खोजते हार जाता है और धर्म को ढूढ़ता भी है, तो भी बाहर । खोयी भीतर, खोज बाहर, वह सुई भला कैसे हाथ लगेगी ? ___ धन से खशामदी खरीदी जाती है, लेकिन यश नहीं । पद पाया जा सकता है, लेकिन प्रतिष्ठा नहीं । जब तक सत्ता हाथ रहती है, तब तक लोग पीछे लटू बने रहते हैं । लेकिन सत्ता खोते ही पूछ समाप्त हो जाती है । गोर्बाच्योव, जिनका संपूर्ण सोवियत संघ में वर्चस्व था, सत्ता हाथ से गयी और आज स्थिति यह आ गयी है । जो संसार की शक्ति माना जाता था, तथा जिसकी शक्तियों का संचालन संपूर्ण सोवियत संघ से होता था, आज उनका अति-सामान्यीकरण हो गया है, जैसे अस्तित्व ही नहीं है। सन् १९१७ में रूस में क्रान्ति हुई । लेनिन ने तख्ता पलटकर सत्ता हथियायी । उस समय रूस के प्रधानमंत्री करेन्सकी थे, तख्ता पलटने से वे रूस से पलायन कर गये । लोगों ने समझा कहीं आत्महत्या कर ली होगी । सन् १९६० में लोगों ने तब दांतों तले अगुली दबाई, जब ३८/ज्योति कलश छलके : ललितप्रभ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003891
Book TitleJyoti Kalash Chalke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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