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________________ पछो/जानो कि सत्य को कैसे प्राप्त किया जा सकता है। एक अंधे आदमी को कैसे बता पाओगे कि प्रकाश क्या है ! आज तक कोई भी जन्मान्ध को यह नहीं बता पाया कि प्रकाश की परिभाषा क्या है ! हाँ, प्रकाश को उपलब्ध कैसे किया जाए, इसके बारे में संकेत दिया जा सकता है, दिशा दर्शन किया जा सकता है, जानकारी दी जा सकती है। कैसे समझाओगे एक अंधे आदमी को प्रकाश की परिभाषा ? तुम कहोगे प्रकाश है । वह कहेगा-अगर है तो अनुभूति कराओ । मेरे पास हाथ है, मैं छुकर देखना चाहता हूँ कि प्रकाश क्या है | क्या कभी छु पाओगे प्रकाश को ? यही जबाब दिया जाएगा कि प्रकाश का कभी स्पर्श नहीं किया जा सकता । वह कहेगा-मेरे पास नाक है, संघा कर बता दो कि प्रकाश कैसा है, पर यह भी नामुमकिन है । कैसे सुंघाओगे ? न इसमें सुगंध है, न दुर्गंध | सच तो यह है कि यह पूरी तरह से गंधमुक्त है अगर तुमने इसके लिए भी ना कह दिया, तो वह कहेगा, मेरे पास कान हैं, सुना दो । मैं संगीत को सुन सकता है, आवाज को सुन सकता हँ तो प्रकाश को क्यों नहीं सुन पाऊँगा ? मेरे पास जीभ भी है, मुझे चखा दो ताकि मुझे प्रकाश का ज्ञान हो जाए । नहीं ! यह शक्य नहीं हैं । न सुंघाना शक्य है, न दिखाना शक्य है, न सुनाना शक्य है और न ही स्पर्श करवाना । ____ कहते हैं, बुद्ध के पास इसी तरह एक जन्मांध व्यक्ति को लाया गया, जो कहता था कि दुनिया में प्रकाश नहीं है । जब मैं प्रत्येक तत्त्व का अनुभव कर सकता हूँ तो प्रकाश का क्यों नहीं ? सब लोग बुद्ध से कहने लगे-आप इसे प्रकाश के बारे में समझा दें । बुद्ध ने कहा 'प्रकाश व्याख्या की वस्तु नहीं है । इसकी आँखे ठीक करा दो, प्रकाश की अनुभूति स्वतः हो जाएगी।' ____ लोगों ने ऐसा ही किया । एक वैद्यराज जो नेत्र पटल की झिल्लियों को व्यवस्थित कर अंधे को भी आंखे देने की कला जानता था, उसके पास उस अंधे का छ: माह तक इलाज करवाया गया । ___ अंततः उसे दिखाई देने लगा । वह दौड़ा-दौड़ा आया बुद्ध के पास और कहने लगा, 'प्रभु ! आपकी कृपा से मुझे प्रकाश दिखाई देने लगा है।' बुद्ध ने कहा-'चल, एक काम कर । अब तू प्रकाश को देख रहा है, इसे छुआ कर बता दे; सुंघा कर या सुना कर बता दे ताकि मुझे सत्य वाणी का, अंतर का/१३३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003891
Book TitleJyoti Kalash Chalke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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