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पूर्व रोमन गवर्नर पांटियस पायलट ने पूछा कि इतना बता दो कि सत्य क्या है ? यीश जो जीवन भर लोगों को उपदेश देते रहे, गवर्नर के प्रश्न पर चुप हो गये, पायलट की ओर देखा लेकिन जवाब न दिया
और बिना कुछ कहे ही सूली पर चढ़ गए, क्योंकि इस प्रश्न का उत्तर हो ही नहीं सकता । दुनिया में कुछ तत्त्व ऐसे होते हैं जिन्हें मात्र समझा जा सकता है कहा नहीं जा सकता । कोई पूछे पानी कैसे बना ? जवाब दिया जा सकता है कि हाइड्रोजन और आक्सीजन के मिलने से पानी बना । हाइड्रोजन कैसे बना ? जवाब होगा कि न्यूट्रान, इलेक्ट्रान और पाजिट्रान-तीनों के सम्मिश्रण से हाइड्रोजन बना | अगर विज्ञान से पूछा जाए कि 'न्यूट्रान' कैसे बना तो क्या कोई वैज्ञानिक इसका जबाब दे पाएगा ? नहीं, यह नामुमकिन है ।। ___ मैंने सना है, जापान के सम्राट ने झेन फकीर लिंग शू को राजमहल में प्रवचन के लिए आमंत्रित किया । निमंत्रण राजा का था, अत: लिंग शू पहुँच गये | सम्राट ने खड़े होकर प्रार्थना की, 'सत्य क्या है' विषय पर अपना उद्बोधन दें । कहते हैं लिंग शू मंच पर पहुँचे और सामने रखी टेबल पर हाथ से प्रहार किया, जोर की आवाज हुई और सन्नाटा छा गया ! सब लोग उत्सुक होकर बैठ गये, स्वयं सम्राट भी कि पता नहीं लिंग शू अब अपना क्या वक्तव्य देंगे ? लिंग शू कुछ क्षण मंच पर खड़े रहे और सन्नाटे को तोड़ते हुए कहा, 'बस प्रवचन पूरा हो गया।' वे मंच से उतरे सीधे बाहर चले गये । सम्राट ने वजीरों से कहा, यह कैसा प्रवचन ! लिंग शू ने तो मेरे प्रश्न का जवाब तक न दिया ।
यह प्रश्न है भी ऐसा जिसका जवाब देना मुश्किल है । अगर कोई समझने वाला हो तो लिंग शू उस मौन में बहुत कुछ कह गये, क्योंकि जिस बात को वाणी से नहीं कहा जा सकता वह मौन से मुखरित होती है। कहते हैं' जब लिंग शू मरणशय्या पर थे तो समस्त शिष्य इकट्ठे हो गये । उन्होंने जिंदगी में हजारों बार लिंग शू से यह प्रश्न किया था कि सत्य क्या है ? लेकिन कोई जबाब न मिला था । शिष्यों ने सोचा कि लिंग शू अभी 'निर्वाण' के करीब हैं, शायद जाने के पूर्व कुछ कह जाएं। सभी ने एकत्रित होकर लिंग शू से कहा कि सद्गुरु ! हम आपसे जीवन का अंतिम प्रश्न पूछना चाहते हैं । लिंग शू ने कहा, पूछो। शिष्यों ने पूछा, 'सत्य क्या है ?' कहते हैं प्रश्न सुनते ही लिंग शू ने अपनी आँखे मंद ली; सन्नाटा छा गया, उनके इस व्यवहार से सभी आश्चर्यचकित थे । लेकिन लिंग शू 'चुप' ही विदा हो गये, आँखे नहीं
सत्य वाणी का, अंतर का/ १३१
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