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________________ जानते थे सत्य अगर है तो जीतेगा, आज नहीं तो कल जीतेगा । समय बीतता गया और बुद्ध की अपकीर्ति न केवल नगर में, अपित आसपास के गावों में भी फैल गई । दुनिया का तो स्वभाव है, तुम अगर किसी महिला को शीलवती घोषित करोगे तो लोग विश्वास नहीं करेंगे | लेकिन किसी के आचरण पर प्रश्नचिह्न लगाओगे तो लोग तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हो जायेंगे । अगर यहीं से बाहर जाकर किसी को कहोगे कि मैंने महाराज के पास अलौकिक शक्ति देखी तो लोग मानने को तैयार नहीं होंगे । और अगर यह कहोगे कि मैंने महाराज को अमुक गलत आचरण करते देखा तो सब हाँ में हाँ मिलाने लग जाएंगे | और बुद्ध के साथ भी यही हुआ । और तो और स्वयं बुद्ध के अनुयायी भी सुन्दरी की बात पर विश्वास करने लगे । लेकिन इतना सब कुछ होने पर भी भगवान का मौन नहीं टूटा । वे इस विषय में किसी भी प्रकार का खंडन करने के लिए तैयार नहीं हुए । भगवान की अपूर्व सहिष्णुता एवं तितिक्षा देख सुन्दरी को अपने कृत्य पर पश्चाताप हुआ । भला कोई आदमी पहाड़ से सिर टकरायेगा तो पहाड़ का क्या बिगड़ेगा। ___ तथागत की शांति को अचल देख विरोधियों ने नए षडयंत्र का सूत्रपात किया और सुन्दरी की हत्या करवाई । नगर में नई चर्चा प्रारम्भ हो गई, 'तथागत ने सुन्दरी की हत्या करवा दी है ।' अब तो लोग बुद्ध के प्रति आक्रोश जतलाने लगे । जनता बद्ध के विरोध में खड़ी हो गई और उन तथाकथित धर्मगुरुओं ने मौके का लाभ उठाया । वे सब इकट्ठे होकर सम्राट के पास गये, कहा 'राजन .! सुन्दरी जो बद्ध की अंकशायिनी थी, आजकल दिखाई नहीं देती है, लगता है लोकनिन्दा के भय से बुद्ध ने उसकी हत्या करवा दी है ।' सम्राट के आदेश पर जैतवन घेर लिया गया । सैनिकों ने उसकी व्यापक छानबीन की । अर्हत् बुद्ध की कुटिया के पीछे, फूलों के ढेर में सुन्दरी का शव मिला । बुद्ध से कहा गया, 'तुम अर्हत् भगवान,बुद्ध और प्रज्ञावान कहलाते हो, अपने प्रवचनों में बातें तो ऊंची-ऊंची करते हो और आचरण इतना निम्न ।' बुद्ध तब भी मौन रहे । झूठ के लिए सफाई पेश करनी पड़ती है, अगर सत्य के लिए भी ऐसा ही किया गया तो सत्य झठ के हाथों नीलाम हो जायेगा | बुद्ध की कुटिया के पास सुन्दरी का शव मिलने सत्य वाणी का, अंतर का/१२१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003891
Book TitleJyoti Kalash Chalke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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