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हमारा जीवन स्वयं में एक सुअवसर है | जीवन से जुड़े हुए जितने भी पहलू हैं, प्रत्येक की अपनी मूल्यवत्ता है । मनुष्य को चाहिये कि वह हर कदम सम्हाल कर रखे । जीवन मूल्यवान है, फिर चाहे वह अमीर का हो या गरीब का । ऐसा नहीं है कि एक सम्राट का जीवन बहुमूल्य है, वरन् एक भिखारी का जीवन भी उतना ही मूल्यवान् है, क्योंकि जीवन की दृष्टि से दोनों समान हैं । नीति कहती है कि वास्तविक सम्राट वह है, जो नगर में होने वाली किसी भिखारी की मृत्यु को भी अपनी मृत्यु माने । ___ सम्राट और भिखारी, गरीब और अमीर-ये भेद रेखाएं जीवन की दृष्टि से नहीं, अपितु व्यवहार की दृष्टि से है | कृष्ण हो या कंस, राम हो या रावण, ईसा हो या पांटियस, महावीर हो या गोशालक जीवन की दष्टि से तो सबने जीवन जीया, लेकिन जीवन-शैली में फर्क पड़ा । किसी ने जीवन में दिव्यत्व हासिल किया और किसी ने पशुत्व । कोई अंधकार में जिया, कोई प्रकाश में । ___ जीवन का विकास या विनाश ये किसी और पर नहीं अपितु स्वयं हम पर निर्भर है । सृष्टि पर प्रत्येक शिशु का आगमन सत्य रूप ही होता है लेकिन झूठ, चोरी और बेइमानी का घालमेल वह उन सब लोगों से सीखता है जिनके साथ वह पलता है, पढ़ता है, बढ़ता है ।
यह जीवन की दोहरी नीति है कि व्यक्ति बातें तो ईमान की करता है, तर्क सत्य के पेश करता है लेकिन जीवन इन सबसे कोसों दूर मिलता है । होता कुछ है, दिखाया कुछ जाता है | कहा कुछ जाता है, किया कुछ जाता है । यह जीवन की दोहरी नीति है । इसलिए मुझसे यदि कोई पुछे तो, मैं कहता हूं कि दो मुहाँ सर्प नहीं, अपितु मनुष्य होता है । असलियत छिपाई जाती है नकली चेहरा पेश किया जाता है। दिन भर बेईमानी की जाती है, एक दूजे के प्रति घृणा और वैमनस्य की कटारी चलाई जाती है और सभाओं में ईमानदारी से जीने का संदेश दिया जाता है, प्रेम और प्यार की बातें बताई जाती हैं | भाषण अहिंसा के और भोजन अंडे का । यह मनुष्य के दो मुंहे व्यक्तित्व की निशानी
सत्य वाणी का, अंतर का/११५
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