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________________ दुःख । तमन्ना करोगे बहारों की, मिलेंगे जख्म मैंने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी, मुझको रातों की सियाही के सिवा कुछ न मिला । मैं वह नग्मा हूँ, जिसे प्यारकी महफिल न मिली । वह मुसाफिर हूँ, जिसे कोई मंजिल न मिली । जख्म पाए हैं, बहारों की तमन्ना की थी, मैंने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी । दिल में नाकाम उम्मीदों के बसेरे पाए । रोशनी लेने को निकला तो अंधेरे पाए । रंग और नूर धागों की तमन्ना की थी, मैंने चाँद और सितारों की तमन्ना की थी ।। यहाँ किसी को कुछ नहीं मिला है । तमन्नाएँ चाँद-सितारों की हैं, पर रात की सियाही हाथ लगी है । माँगने के लिए व्यक्ति स्वतन्त्र है, लेकिन मिलने वाला कुछ नहीं है | महावीर कल्पनाओं के जाल से व्यक्ति को बाहर निकालकर, याचना की प्रवृत्ति से छुटकारा दिलाना चाहते हैं । वे दल-दल से निकालकर हर-एक को स्वतंत्र करना चाह रहे हैं। ___ महावीर ने काम-भोग नहीं कहा, काम-गुण कहा, क्योंकि आसक्ति के अनेक मार्ग होते हैं । स्त्री-राग और पुरुष-राग तो होता ही है, इसके अतिरिक्त ऐसे कई राग होते हैं जिनका सम्बन्ध स्त्री और पुरुष के साथ नहीं अपितु अपनी इन्द्रियों या अन्य सम्बन्धों के साथ होता हैं । जितना हानिकर पुरुष राग/स्त्री राग है, उतना ही, या यूँ कहूँ उससे ज्यादा इन्द्रिय राग हानिकर है । इन्द्रियों में आसक्त व्यक्ति स्वयं को विपत्तियों में धकेल देता है। मैं बंगाल की यात्रा पर था । वहाँ देखा करता तालाब के किनारे मछुआरे एक लकड़ी के किनारे धागा लटकाये रखते और धागे के किनारे एक कील । वे कील के चारों और आटा चिपका देते । फिर उसे तालाब में डालते, बाहर निकालते तो मछली का मंह कील में फंसा होता था। मछली इसलिए फंसी कांटे में क्योंकि जिह्वा-राग और आटे की आसक्ति १०४/ ज्योति कलश छलके : ललितप्रभ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003891
Book TitleJyoti Kalash Chalke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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