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शकुनियों को निकाल बाहर करने के लिए अर्जुन की ही आवश्यकता है। तुम्हें आगे आना होगा। तुम्हारे भीतर क्षात्रत्व का ओज है, तुम्हारे भीतर परम्परा का वह खून भरा हुआ है जिस खून से इस धरती का फिर से कायाकल्प हो सकता है। धर्म के अभ्युत्थान के लिए, अधर्म के विनाश के लिए मैं तुम्हारी कुर्बानी, तुम्हारी शहादत मांगता हूँ।
जागो मेरे पार्थ ! अगर अर्जुन कायर हो गया, धार्मिक लोग पीछे खिसक गये, तो अधार्मिक लोग इस धरती पर इस तरह से उभरते चले जायेंगे कि धर्म का नाश करने के लिए ये काफ़ी होंगे । तुम एक किनारे खड़े देखते रह जाओगे। अधार्मिकों के शेषनाग फुफकार मारते रहें और धार्मिक लोग चुपचाप मौन-तटस्थ होकर देखते रहें, तो तुम गुनाह कर रहे हो। इसके लिए न तुम्हारी आत्मा तुम्हें माफ़ करेगी और न तुम्हारी पीढ़ियाँ ही तुम्हें जन्म-जन्मांतर क्षमा कर पायेंगी। इसीलिये महावीर ने कहा-'जागरिया धम्मीणं, अहम्मीणं च सुतया सेया।' धार्मिक व्यक्ति जग जाये और अधार्मिक आदमी सो जाये । धार्मिकों का जागना श्रेयस्कर है और अधार्मिक का सोना श्रेयस्कर है।
अगर महावीर और बुद्ध आगे न आये, राम और कृष्ण आगे न आये, अर्जुन और हनुमान आगे न आये, गांधी और विवेकानन्द आगे न आये तो फिर कौन आगे आयेगा? क्या दुर्योधन या दुःशासन आये? क्या हिटलर, स्टालिन या तैमूरलंग आगे आये? अगर हिटलर या स्टालिन आगे आ गये, तो इस धरती पर विनाश ही विनाश होगा। जागें तो कोई सम्राट अशोक जैसी आत्मा जो अहिंसा और करुणा के विस्तार के लिए अपनी सारी पहुँच का इस्तेमाल कर दे । जागें, तो कोई महात्मा गांधी जैसी आत्मा जागे, जो संसार की नाक पर अहिंसा की आजादी का ध्वजारोहण करे । जागे, तो बुद्ध और महावीर जैसे महापुरुष जागे, जो धर्म और समाज में आई बुराइयों को नेस्तनाबूद कर सकें । जागें तो कृष्ण और राम जैसे लोग जागे, जो कंस और रावणों की हत्या करके भी इस संसार को मुक्त करना पड़े, तो इसके लिए कटिबद्ध रहें।
माना हमारी आँखों ने राम को नहीं देखा और न कृष्ण को देखा, लेकिन हम स्वयं तो राम हो सकते हैं, हम स्वयं तो कृष्ण हो सकते हैं। केवल राम की पूजा कर देने भर से कुछ नहीं होगा, हर मनुष्य को राम के रूप में जन्म लेना होगा। हमारी माँ ने, हमारे पिता ने चाहे जिस रूप में हमें जन्म दिया हो, चाहे ब्राह्मण,
बूंद चले सागर की ओर | 213
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