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यह तुम्हारे जीवन में रसधार बरसायेगा। ___कहते हैं अकथ कहानी प्रेम की । प्रेम की कहानी बड़ी अकथ होती है, कही नहीं जा सकती। प्रेम को तो सिर्फ़ जीया जा सकता है। प्रेम में जहाँ हीर और रांझा जैसी हज़ारों प्रेम-कहानियाँ हैं, वहीं राधा और कृष्ण, सीता और राम, नेम
और राजुल, कर्मावती और हुमायूं जैसी गाथाएँ भी हैं। उसी प्रेम के वशीभूत होकर ही तो कोई चैतन्य महाप्रभु नाचता है, कोई मीरा राजमहल छोड़कर वृंदावन की ओर चली जाती है । कोई रामकृष्ण परमहंस हो जाता है।
प्रेम स्वयं ध्यान है । प्रेम का अर्थ है वासना से मुक्ति और ध्यान का अर्थ है विचार से मुक्ति । चाहे शेख फरीद हो, मीरा हो, दादू हो, सहजोबाई हो, ये सब प्रेम की बात करते हैं। ये जिस प्रेम की बात कर रहे हैं वह कंडीशन्ड प्रेम नहीं है। इसका अर्थ है प्रेम का विचार नहीं, प्रेम का भाव । सलिम अली की नजर से पंछियों को देखो, हम उनके स्वर में स्वर मिलाएँ । कभी बादलों की धूंघट को देखकर प्रफुल्लित हों, इन्द्रधनुष की फिजिक्सन सोचें । तभी एक निर्दोष प्रेम पैदा होता है। एक निर्दोष भाव जगता है, विचार नहीं होता। विचार प्रेम को सौदा बनाता है जबकि प्रेम भाव है । इसीलिए भाव हमेशा बना रहता है । विचार बदलते रहते हैं और भाव को सिखाया नहीं जा सकता।
जिसे फरीद ने ही कहाबोले शेखू फरीद पियारे अलह लगे।
जिसका अनुवाद होता है प्यारे अल्ला से अपनी प्रीति को जोड़ लो। यह भाव-दशा का प्रशिक्षण है।
ग्रे नाम के अंग्रेज कवि ने लिखा है कि उसके गाँव का एक नियम था कि जब कोई मर जाता तो चर्च की घंटियाँ बजतीं । उसने लिखा पहले मैं भेजता था लोगों को पता लगाने कि कौन मर गया। अब मैं नहीं भेजता क्योंकि जब भी चर्च की घंटी बजती है, तब मैं ही मरता हूँ। हर मनुष्य की मौत मनुष्यता की मौत है। इसलिए प्रेम बहुत महत्त्वपूर्ण है।
जापान में भी बाँसों का जंगल होता है। बांस से बड़ा प्रेम है वहाँ लोगों को । बर्फ जब पड़ती है तो बाँस बर्फ से लड़ते नहीं हैं; वे बर्फ के भार से झुकते जाते हैं। इतने झुक जाते हैं कि बर्फ खुद-ब-खुद हट जाती है।
योगक्षेमं वहाम्यहम् | 115
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