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परमात्मा तक कभी कोई पैसा नहीं पहुँचता, परमात्मा तक तो केवल तुम्हीं पहुँचते हो । तुम्हारा प्रेम, तुम्हारा समर्पण और तुम्हारी भक्ति ही उस परमात्मा तक पहुँचती
रवीन्द्रनाथ ने एक बड़ी गहरी कविता लिखी है।
पुराना एक मंदिर था, उसमें एक युवा पुजारी गया। मंदिर में महंत थे। नये पुजारी को मंदिर में जगह मिल गई। मंदिर में ज्यादातर जगह ही होती है। रात हुई, नए पुजारी ने कहा कि मुझे लगता है द्वार पर कोई आया है। किसी ने पूछा तुम्हें कौन लगता है । उसने कहा-आता ही कौन है सिवाय परमात्मा के। महंत ने कहा, तुमने ईश्वर के आने की बात कही है, तो कुछ मीठा बनाया जाए। लोगों ने प्रसाद लिया और सो गए। थोड़ी ही देर बाद उस नये पुजारी ने कहा कि मुझे दरवाजे पर आहट हो रही है। महंत ने कहा कि रात्रि का तीसरा प्रहर है
और तुम शोर मचा रहे हो, अब अगर तुमने कुछ कहा तो मंदिर के परकोटे के बाहर फिंकवा देंगे । मुझे पचास वर्ष हो गये हैं, लेकिन आज तक कभी परमात्मा नहीं आया।
पुजारियों को सबसे अधिक भरोसा होता है। परमात्मा के न होने का। सुबह हुई मंदिर के कपाट खुले, लोगों ने देखा सीढ़ियों पर पैरों के निशान हैं, रथ के आने और जाने के निशानात हैं।
___ यही स्थिति आजकल मंदिरों की है । जीसस का बड़ा प्रसिद्ध वचन है। एक आदमी निकोडेमस जीसस के पास आया और उसने कहा कि मुझे आशीर्वाद दो कि मेरे धन में बढ़ोतरी हो, मेरी समृद्धि बढ़े, मेरे सौभाग्य में हजार गुनी गति हो । जीसस ने कहा-“सीक यी फर्स्ट किंगडम आफ गॉड, दैन ऑल एल्स शैल बी एडेड अन टू यू" । तू सिर्फ परमात्मा को खोज, शेष सब अपने आप आ जायेगा।
जिन्होंने एक बार संसार को आँख भरकर देख लिया है वह जान लेता है कि यह जाना हुआ भी बेकार है। कहते हैं कि एक बहरा और अन्धा आदमी रोजाना चर्च आता था बिना नागा। एक बार किसी ने उससे पूछ लिया कि भाई तुम यहाँ रोज क्यों आते हो । न तो तुम्हें सुनाई देता है, न तुम्हें दिखाई देता है। फादर क्या कह रहे हैं चर्च में, तुम्हें सुनाई नहीं देता। वहाँ क्या हो रहा है, तुम्हें
106 | जागो मेरे पार्थ
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