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________________ रह पाएगा । जमाना धर्म पर अंकुश लगाने लगेगा | जमाना धर्मं का सहचर नहीं होगा । अगर ऐसा ही हुआ तो समझो हो गया धर्म का सत्यानाश । धर्म का सत्यानाश हुआ तो क्या नैतिकता बचेगी, क्या मानव बचेगा ? तब तो परमात्मा भी कहां रहेगा । इन्सान में जब तक इन्सान बन कर जीने के भाव रहेंगे तभी तक परमात्मा के मन्दिर जीवित रहेंगे और जब इन्सान ही मर गया, इन्सान के भीतर का इन्सान, तो परमात्मा को याद करने वाला कहाँ बचेगा ? मेरे देखे, हर चेतना हर तत्व परमात्मा होने के करीब है । आएगा जब परमात्मा ही परमात्मा नहीं रहेगा, बल्कि जीव, छोटे से छोटा अणु भी परमात्मा होगा । आज जो कली है, कल वो भी परमात्मा बन सकती है । तब यह धरती भी अपने आप में सिद्ध शिला बनेगी । यह धरती अपने आप में स्वर्ग बन जाएगी । हम सक्रिय हों । हमारी अन्तर्दृष्टि निर्मल हो । रचनात्मकता और सकारात्मकता को जीवन में स्थान दें । किसी नियमविशेष को निभा लेना ही, जीवन-मूल्यों की इतिश्री न समझें । नियमों का निर्माण युग-युग में होता रहा है । युग के अनुसार, नियम बनते हैं । नियमों की दुहाई न देते फिरें, अपने विवेक को, जीवित और सक्रिय करने का प्रयास करें । हम महान् बनें और फिर भी कितने भी महान् बन जायें, पर इतना जरूर स्मरण रखें कि आखिर हम एक इन्सान हैं। साधु-संतों, गुरुजनों और बुद्धिजीवियों को आगे आना चाहिये । युग को सही लोगों की जरूरत है। सही और भले लोगों को सारे संसार में फैल जाना चाहिये । एक दिन ऐसा धरती का हर मैंने सुना है, एक संत कहीं जा रहे थे । चलते-चलते वे थक गए तो एक मकान की चौकी पर बैठ गए। वह मकान एक महिला Jain Education International ( ७३ ) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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