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________________ से डूबोगे। यह तो आप पर निर्भर करता है कि आप कौनसा मार्ग अपनाते हैं। यह आदमी पर है कि वह अपने को समाज और देश को चमन बनाए, अपने प्रेम से प्रफुल्लित करे या जिन्दगी को नर्क बना दें। धरती पर आए हो तो इसके लिए कुछ करो। समाज में रहते हो तो इसके उत्थान में अपना योगदान करो। परिवार के लिए कुछ करो। अपने परिवार को प्रेम दो। समाज में, देश में प्रेम बांटो। धर्म का सही आचरण यही है। शुरुआत घर से हो । परिवार में एक-दूसरे के लिए त्याग की भावना रखना, छोटे-बड़े सबकी भावनाओं की कद्र करना, मिल-जुलकर रहना, जीवन का यह सामाजिक धर्म है। आप मन्दिर में जाते हैं, जरूर जाइए। परमात्मा से प्रेम भी कीजिए। मगर पहले अपनी पत्नी, बच्चों, दोस्तों से प्रेम कर लेना, क्योंकि तभी परमात्मा से किया जाने वाला प्रेम सार्थक होगा। आप किसी धर्म सभा में जाते हैं। सामायिक करते हैं, जरूर करिएगा, लेकिन घर में जो क्रोध का कषाय है, उसे समाप्त करके आना। तब सामायिक में जीवंतता आएगी, प्राणों में वह प्रतिष्ठित होगी। अपने घर को भी अगर एक मन्दिर बना लो, अपने ऑफिस में कुर्सी को अगर सामायिक की 'बैठक' बना लो, तो धर्म तुम्हारे जीवन का व्यवहार हो जाएगा, तब तुम जो करोगे, वह धर्म ही होगा। जमाना हवाई जहाज और जेट की रफ्तार से चल रहा है लेकिन हम धर्म को बैलगाड़ी की गति से चलाना चाहते हैं। ऐसे तो धर्म जमाने से पीछे छूट जाएगा। अगर धर्म जमाने के साथ न चल पाया तो नतीजा यह होगा कि धर्म का जमाने पर अंकुश नहीं ( ७२ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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