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एक देवता का शैतान हो जाना आसान है । . एक इन्सान का भी शैतान होना सरल है, लेकिन एक जानवर का इन्सान होना कठिन है । एक शैतान का देव होना मुश्किल है । पशु इन्सान नहीं हो सकता ।
'पशु' इस अर्थ में
में इन्सान है
इन्सानियत की
पशु है कि वह पशु से ऊपर नहीं उठ सकता । इन्सान इस अर्थ कि वह दिव्यताओं का आचमन कर सकता है । पूजा करने वाला इन्सान है । वह इन्सान होकर भी धरती का देवता है, जो दिव्य है, दिव्यताओं को आत्मसात् कर रहा है यानी इन्सानियत से भी दो कदम आगे है । इन्सानियत तो उसका इल्म है । दिव्यता हमारा लक्ष्य हो और मानवता उसका मार्ग ।
आप यदि यह सोचकर बचते रहे कि मार्ग कठिन है, चलना कठिन है तो आप लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे । तब बाहर से आपका मुखौटा जरूर इन्सान का होगा मगर भीतर शैतान जिन्दा रहेगा । और वो शैतान, वो जानवर आपको काटता रहेगा, जहर उगलता रहेगा । एक सांप अगर सुधर जाए तो वो श्रावक बन जाता है और एक श्रावक यदि विकृत हो जाए तो सांप बन जाता है ।
अंग्रेजी के दो शब्द हैं - गॉड ( GOD) और डॉग ( DOG ) । आप ध्यान से देखें तो पाएंगे कि गॉड का उलटा डॉग हो जाता है । इन्सान जब अपने स्वभाव से नीचे गिरता है तो 'डॉग' बन जाता है और जब 'डॉग' इन्सानियत को छूकर आगे बढ़ता है तो 'गॉड' बन जाता है । डॉग उपेक्षित है, गॉड प्राराध्य है ।
इसी तरह दो शब्द हैं 'राम' और 'मरा' | 'राम' आपको तारता है, 'मरा से आपको डर लगता है । एक से उबरोगे तो दूसरे
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