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मनुष्य बने स्वयं मन्दिर
आजकल मन्दिर, मस्जिद और गुरुद्वारों का तेजी से निर्माण हो रहा है । धर्म स्थलों का निर्माण मानव जाति के लिए शुभ संकेत है। परन्तु, जितनी तेजी से इन धर्म स्थलों का निर्माण हो रहा है, उतनी ही तीव्रता से मानवता का ह्रास होता जा रहा है । मन्दिरों की आबादी बढ़े, पर मानवता की देहरी पर मोहब्बत का चिराग बुझाकर नहीं।
परमात्मा के मन्दिरों का निर्माण हो रहा है, लेकिन मनुष्य के मन्दिर निरन्तर ढहते चले जा रहे हैं। परमात्मा की प्रार्थना तो खूब हो रही है, मगर इन्सानियत की इबादत कहीं दिखाई नहीं देती।
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