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मनुष्य की जीवेषरणा
एक बहुत पुरानी कहानी है । एक समय राजा ययाति हुप्रा 1 ययाति के सौ पुत्र थे । जब वह सौ वर्ष का हो गया तो मृत्यु ने उसके द्वार पर दस्तक दी । मृत्यु ने कहा - 'सम्राट तुम्हारी उम्र पूरी हो चुकी मैं तुम्हें लेने आई हूं।'
ययाति ने कहा - 'तुम तो
बहुत जल्दी आ गई। अभी तो मैंने न तो संसार का सुख देखा है और न ही जीवन का आरामविश्राम पाया है । अभी तो मैंने केवल जीवन की योजना बनाई है । इसलिए हो सके तो तुम मुझे सौ वर्ष का जीवन और दे दो ।'
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