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उतारते ही वह शास्त्र बन जाएगा । ऐसा नहीं है कि महावीर ने कुछ यूं ही कह दिया और वह बात शास्त्र बन गई। कहने से पहले महावीर ने उसे अपने आचरण में उतारा। जीवन में परखा और फिर दिया, लोगों में लुटाया । तुम भी ऐसा करोगे तो कोई आश्चर्य नहीं कि तुम्हारी बात भी शास्त्र बन जाए। सब केवल महावीर की वाणी ही आशीर्वचन नहीं होगी ।
यह तो निश्चित है कि महावीर परमात्मा है, ऋषभदेव परमात्मा है लेकिन जिस दिन हम परमात्मा हो जायेंगे वो दिन सुनहरा होगा । हमारे लिए तो वही श्रेष्ठतम है, जो हममें उजागर हो सकता है । व्यक्ति परमात्मा हो सकता है । प्रयास शुरू करने की देर है । महावीर ने यह कभी नहीं कहा कि तुम महावीर के भक्त बनो । तो कहते हैं – तुम स्वयं महावीर बनो । केवल भक्त होने से ही आदमी महावीर नहीं बन जाएगा । 'महावीर' होने से ही व्यक्ति महावीर बन सकेगा ।
वह
आपने जैन कुल में जन्म लिया है तो इसे सोचकर गौरवान्वित होना चाहिए कि हम उनके वंशज हैं जो महावीर थे । हम तीर्थंकरों के वंशज हैं । छाती ठोककर दमखम के साथ यह बात कहनी चाहिए ।
हम जैन कुल में केवल जैन कहलाने के लिए पैदा नहीं हुए हैं । हम जन्म लिया है जिन होने के लिए। जैनी होना तो बहुत आसान है, मुश्किल काम तो जिन होना है ।
हम परमात्मा की पूजा करते हैं, लेकिन क्या हमारा जन्म मात्र पूजा करने के लिए हुआ है ? वास्तव में हमारा जन्म परमात्मा बनने के लिए हुआ है । केवल पूजा करते रह जाओगे तो वह नहीं बन सकोगे, जो वास्तव में बनना है । जैन ही रह जाओगे । जीवन भर शिष्य बने रहोगे, गुरु कभी नहीं बन सकोगे ।
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