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________________ इसलिए मेरे पास पहले प्यास जगाने का प्रयास है, ताकि जब आपको पानी मिल जाए तो उसका मोल पहचान सको। धर्म-सभा में आने वाले लोग वास्तव में भाग्यशाली हैं, जिनके मन में प्यास जगाने की उत्कंठा है। जहां प्यास है, वहां पानी की खोज के रास्ते भी खोज लिए जाते हैं। इसलिए गुरु-पूर्णिमा के अवसर पर मैं तो बस आपके मन में प्यास जगाने का प्रयास करूंगा। इसलिए गुरु-पूणिमा के अवसर पर मैं उस प्यास की लौ जगाने का निमन्त्रण देता हूँ। पानी प्यास तक पहुंचने के लिए आतुर है । मैं उस हृदय तक जाने के लिए आतुर हूँ, जिसको मेरी जरूरत है, जिसमें मेरी प्रतीक्षा है । ऐसा नहीं है कि प्यासा ही केवल पानी को तलाशता हो, पानी भी तृषातुर कण्ठ तक जाने के लिए उतना ही उत्सुक है । प्यासा तो पानी को पाकर कृतार्थ होगा ही, पानी भी सही पात्र में जाकर, किसी की प्यास बुझाकर स्वयं को धन्य ही समझेगा। बदली पूरी भर चुकी है । उसे माटी की पुकार सुनाई दे रही है । बदली जी भर चाहती है कि वह माटी की प्यास बुझाए । माटी को परितृप्त करे। जिन्हें आत्मा की प्यास है, वे उषाकाल में ही पहुंच गये। सब अपनी ओर से अचित-समर्पित हो रहे थे। उनकी अर्चना का मैं सम्मान करता हूं, उनके भावों का आदर करता हूँ। प्रभातकाल में, आज का ध्यान उनके मूलाधार को जाग्रत करने वाला हा । वे और ऊपर चढ़े। प्रभु करे आप सब बहत शीघ्र ज्योतिर्मय हो उठे । पूर्णिमा का चांद उनको, सबको रोशनी से, पूर्णता से भर दे । गुरु चांद है, परमात्मा सूरज है। चांद सूरज का ही प्रतिबिम्ब है । 'गुरु दीवो, गुरु चन्द्रमा ।' गुरु दीप है, गुरु चांद है । गुरु-पूर्णिमा का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति एक प्रतिमा की तरह गुरु की पूजा कर ले । उसे माला पहना दे, श्रीफल और दक्षिणा ( ४२ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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