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बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिन्हें धर्म से कोई मतलब नहीं होता, ऐसे लोगों से आप बेहतर हैं जिनके पास परमात्मा के लिए प्रार्थना है, धर्म के प्रति प्यास है । किसी भी मनुष्य के लिए धर्म और अध्यात्म उतना ही गहरा और जीवन्त होता है, जितनी इन चीजों के लिए उसके भीतर प्यास होती है । आत्मा की प्यास होती है ।
हमारे जीवन के लिए पानी के स्रोत बहुत महत्वपूर्ण हैं, अमूल्य हैं । लेकिन उसका मूल्य तभी है जब हमें प्यास हो । प्यास जितनी प्रखर होगी पानी का मूल्य उतना ही अधिक होगा। कोई आदमी तृप्त है और आप उसके द्वार तक पानी पहुंचा देते हैं, तो उसके लिए उस पानी की कीमत विशेष नहीं है। दूसरी ओर कोई आदमी प्यास से तड़फ रहा है और किसी ने उसके सूखे कण्ठ तक पानी की चन्द बूदें ही पहुँचा दी, तो उसके लिए तो वह पानी अमृत जैसा हो जाएगा । प्यासे के लिए पानी ही अमृत बन जाया करता है। मरुस्थल के लिए सावन ही मरूद्यान का कारण बन जाता है। इसलिए पानी कितना मूल्यवान है, इसका निर्धारण आदमी की प्यास ही कर सकती है।
___चातुर्मास के दौरान आप मुझसे प्रवचन सुनकर अपने आपको धन्य करना चाहेंगे, लेकिन कोई भी आपको बहुत ज्यादा नहीं दे पाएगा, जब तक कि स्वयं हमारे भीतर इसके लिए प्यास नहीं होगी। हम उतना ही दे पाएंगे जितनी आपकी प्यास होगी।
मेरा उद्देश्य न तो ज्ञान देना है और न ही उपदेश । मेरी मंशा है कि आपके भीतर एक प्यास जगे। मैं जानता हूँ प्यास होगी, तो पानी की तलाश तो आप खुद कर लेंगे। प्रायः लोगों का दुर्भाग्य यही रहता है कि उन्हें पानी पिलाने वाले तो सैकड़ों लोग मिल जाते हैं, लेकिन असली प्यास के अभाव में वो पानी व्यर्थ ही चला जाता है ।
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