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________________ लड़का नीचे आया । माली ने पूछा ग्राम क्यों तोड़ रहे थे ? लड़के ने मैं तो यहां से गुजर रहा था, देखा कि मैं तो उन टूटे हुए आमों को वापस कहा ग्राम तोड़ कौन रहा था । कुछ आम जमीन पर पड़े हैं। चिपका रहा था । हम भी ऐसा ही कर रहे हैं । चोरी करते पकड़े जाते हैं तो तुरन्त गिरगिट की तरह रंग बदलने लगते हैं । हमारा धर्म तो अधर्म को ढकने का बाना भर हो रहा है । तुम्हारा पुण्य या तो कृत पापों का प्रायश्चित है या फिर पाप को छिपाने- दबाने का उपक्रम भर है । भीतर अपवित्रता हो तो बाहर की पवित्रता उसे नहीं छिपा सकेगी । कोढ़ को आप कपड़ों से भले ही ढंक लें, मगर मवाद बाहर आ जाएगा । कभी बैठकर विचार किया कि जीवन हमारा अपना कितना है । दूसरों की आंखों में धूल झोंकी जा सकती है लेकिन अपनी आँखों में धुल कैसे झोंक पात्रोगे। तुम समझते हो दुनिया को वेफकूफ बना रहे हो ! गलत सोचते हो । दुनियां तो तुम्हें बेवकूफ बना रही है । इसलिए कहता हूं जीवन में दोहरापन न आने दो। कहीं ऐसा न हो कि बुद्ध बनाने के चक्कर में तुम्हीं बुद्धू बना दिये जाओ । जीवन को दर्पण की तरह रखा, तो पाओगे कि जीवन में कुछ किया । परमात्मा हर किसी को उसकी जरूरत का देता है । उसके पास भीख मांगने मत जाओ । उसके पास तो इस बात की कृतज्ञता प्रकट करने जाओ कि हे ईश्वर ! तुमने मुझे जो कुछ भी दिया, वह मेरी क्षमताओं, आकांक्षाओं से भी अधिक है, मैं तुम्हारा कृतज्ञ हूँ । वो कृतज्ञता जीवन में और बदलाव लाएगी । मनुष्य की चेतना में रूपान्तरण होना चाहिये । जीवन का अर्थ रूपान्तरण में है । जीवन पहेली है, सुख-दुःख की सहेली है । Jain Education International ( ३८ ) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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