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________________ कहते हैं : वनवास के दौरान पांडव कुती के साथ जंगल में भटक रहे हैं । एक जगह माँ को प्यास लगती है। एक भाई पानी की तलाश में जाता है । उसे एक तालाब दिखाई देता है । वह जैसे ही पानी पीने झुकता है, एक आवाज आती है-'पहले मेरे सवालों का जवाब दो, फिर पानी पीना, अन्यथा जीवित न बचोगे ।' वह पाण्डव इस चेतावनी को दरकिनार कर पानी पी लेता है। दूसरा, तीसरा, यहां तक कि चौथा भाई भी वहां पहुंचता है लेकिन वह भी वहां मरे पड़े अपने भाइयों की हालत देखकर नहीं चेतता, फलतः वे भी वहां गिर पड़ते हैं । अन्त में धर्मराज युधिष्ठिर जाते हैं और सभी प्रश्नों का जवाब देते हैं। ___यक्ष पूछता है -अज्ञान क्या है ? युधिष्ठिर ने जवाब दिया -- जानते-बूझते भी जो कुएं में गिरे, ठोकर खाए, इसी का नाम अज्ञान है । इसका सटीक उदाहरण मेरे भाई हैं जो एक को मरा हुआ देखकर भी नहीं संभल सके । ठोकर खाकर भी जो न संभले, वही अज्ञानी है । अज्ञान दशा में ही पाप नहीं होता। पाप तभी होता है जब उसे परिस्थितियों का ज्ञान हो, मगर वह फिर भी न संभले और गलती कर जाए। इसलिए मैं आग्रहपूर्ण स्वर में कहता हूँ कि आप शिक्षालयों में जाकर जो शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, उसे अपने जीवन में जीने का भी यत्न करिए। आजकल छात्र कक्षा में छुरा लेकर परीक्षा देने बैठता है । ऐसे में गुरु भी पहले जैसा नहीं रहा। जब छात्र और गुरु दोनों ही पहले जैसे छात्र व गुरु नहीं रहे तो ज्ञान भी पहले जैसा कैसे रह पाएगा? मनुष्य रोजाना प्रतिक्रमण करेगा। पाप की आलोचना करेगा मगर उस ओर से अपने कदम नहीं हटायेगा। पाप और प्रतिक्रमण ( ३६ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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