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गया है, यह कोई वैज्ञानिक नहीं समझ पाया है। वायुयान बनाकर विज्ञान ने संसार की दूरियां तो कम कर दी मगर इन्सान-इन्सान के बीच की दूरी वह नहीं मिटा माया । हमारे लिए अमरीका दूर नहीं है लेकिन हमारे पड़ौसी का घर दूर हो गया है । अमरीका में क्या हो रहा है, यह तो हम बता देंगे लेकिन हमारे घर में क्या हो रहा है, यह बताना हमारे लिए मुश्किल हो गया है। जमीनों की दूरियां घट गई हैं लेकिन दिलों की दूरियां विस्तार पा चुकी हैं।
गांव-गांव में स्कूलें खुल रही हैं । आदमी ने किताबों में पढ़ा कि सुबह उठकर मां-बाप को प्रणाम करना चाहिए। हमने पढ़ा है कि झूठ न बोलें, पाप न करें, लेकिन क्या हम इस पाठ को जीवन में उतार पाये हैं ? हमने एम० ए० कर लिया है लेकिन अभी तक तो हम पहला पाठ भी अमल में नहीं ला पाये हैं । एम० ए० की सार्थकता एम. ए. एन. होने से है।
आपने डिग्रियां तो खूब प्राप्त कर लीं, लेकिन केवल डिग्रियां सीने पर लगाकर कोई तीर नहीं मार लिया। विडम्बना तो यह है कि जितने अधिक शिक्षालय खुलते जा रहे हैं, मनुष्य और अधिक अज्ञानी होता चला जा रहा है । एक अनपढ़ आदमी गलती करता है, बात समझ में आती है। लेकिन अनेक डिग्रियाँ प्राप्त आदमी भी गलतियां करता चला जाए तो सोचना पड़ता है ।
आदमी जानता है कि तम्बाकू खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । गुटखा खाने से कई गम्भीर बीमारियां घेर सकती हैं, लेकिन जानते-बूझते भी हम वही काम करते चले जाते हैं जिनसे हमारा भला नहीं होता। वो तो मिथ्यात्वी है ही, जिसे ज्ञान नहीं है, लेकिन जिसे ज्ञान है मगर फिर भी वह विपरीत आचरण करता है, तो यह इससे बड़ा मिथ्यात्वी नहीं हो सकता ।
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