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________________ सबका जन्म-मार्ग एक ही है। फिर फर्क कहाँ पैदा हो जाता है। यह बात ही तो समझने की है। जीवन मार्ग पर सफर करते समय कौन किस तरह के अनुभव बटोरता है, यह खास बात है। सिकन्दर ने इसी मार्ग पर अनुभव बटोरे और महावीर और बुद्ध ने भी यही मार्ग अनुभवों को बटोरते तय किया। मगर दोनों में रात-दिन का फर्क रहा । अापके पिता के अलग अनुभव हैं तो आपके दूसरे अनुभव हैं । आपके पिता ने बहुत प्रभाव देखे । छोटा-सा काम शुरू कर बड़ा व्यवसाय खड़ा किया। आपको उन अभावों का सामना नहीं करना पड़ा । अनुभवों से ही आपके पिता जीवन का निचोड़ निकालेंगे । पिता अपने पुत्र को कोई गलती करते देखता है तो तुरन्त डांट देता है, लेकिन एकांत में बैठकर पुत्र को यह नहीं समझाता कि देख बेटा ! यह गलती मैंने भी की और समय पर इसमें सुधार नहीं कर सका । मेरे जीवन में अमुक कमी रह गई। इसलिए मैं तुम्हें समझाना चाहता हूँ, उन गलतियों से बचाना चाहता हूँ। विवाह हो या व्यवसाय, पिता को चाहिए कि वह अपने पुत्र को इनमें खुद को हुए अनुभवों से अवगत करा दे। अपने अनुभव अपने वंशजों को बतायो जरूर, लेकिन उन्हें लकीर का फकीर मत बनायो । तुम्हारा काम उसे सही या गलत की जानकारी देना है। आपने देखा होगा, एक वकील अपने पुत्र को वकील बनाना चाहता है। आपका पुत्र जो बनना चाहता है, उसे वैसा बनने का प्रयास करने दीजिए। उसके लक्ष्य की प्राप्ति में मदद कीजिए, उसकी टांग मत खींचिए कि, यह नहीं, वह करो। अनुभव आपको जीने का ढंग बताते हैं। एक बूढ़ा आदमी होटल में ठहरा । जब वह लौटने लगा तो नीचे रिसेप्शन काउण्टर पर उसे याद आया कि वह अपनी तीन चीजें कमरे में ही छोड़ आया । ( ३१ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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