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जागें, और जीयें
बहुत पुरानी घटना है। मगध देश में राजा के पास बद्धरेक नामक एक हाथी था । देश भर में उसके शौर्य व पराक्रम की बड़ी चर्चाएं थीं। शायद ही ऐसे किसी हाथी की कथा आपने सुनी हो, जिसने सौ युद्धों में जीतने का गौरव पाया हो । बद्धरेक ऐसा ही एक हाथी था। लोग बड़े गर्व के साथ उस हाथी का नाम लेते थे । देवताओं में जैसे ऐरावत हाथी था, यह बद्धरेक ऐसा ही हाथी था।
समय बीता, बद्धरेक बूढ़ा हो गया। अब वह अपने जंगले में पड़ा रहता। काफी अशक्त हो गया था। एक दिन उसकी इच्छा हुई और वह सरोवर की तरफ चला गया। उसकी आँखें भी कमजोर हो चुकी थी, इसलिए वो नहीं देख पाया कि उस सरोवर में अब पानी
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