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काफी अंतर है । आप मानो मत, जानो । जो जान लिया उसे फिर मानना ही पड़ेगा । केवल मानने से आपने जान लिया, यह जरूरी नहीं है । इसके तीन क्रम हैं - पहले खोजो, फिर जानो और तब मानो । इस क्रम से किसी चीज को खोजोगे तो वह मौलिक ज्ञान होगा | क्रांति का अर्थ क्या है, यही कि हमने माना नहीं, पहले जाना है ।
सभी लोग महामहिम नहीं हो सकते, लेकिन आप जो करते हैं, उसे जानते हुए करें। अगर ऐसा हुआ तो आप सत्य के लिए कुरबान हो सकते हैं । तुम जो सच्चाई कहते हो, उसे गलत मान लो । हम मृत्यु दण्ड माफ कर देंगे, ऐसा कहने पर जिसने गलत मान लिया, उसे सजा मिलकर रहेगी । जिसने सत्य को जान लिया वह अपने को कुरबान कर देगा मगर सत्य के खिलाफ नहीं जाएगा । सुकरात को इसीलिए जहर पीना पड़ा क्योंकि उन्हें सत्य के खिलाफ जाना मंजूर नहीं हुआ ।
जीसस क्राइस्ट को इसीलिए क्रूस पर झूलते रहना पड़ा कि उन्होंने ईश्वर के सत्य से पीछे हटने से इंकार कर दिया । पर मरते वक्त भी क्राइस्ट ने अपने शिष्यों से कहा, अपनी तलवारें अपनी म्यान में रख लो । जो तलवार उठाएँगे, वे तलवार से ही मरेंगे । समय आ गया है कि कष्ट सहते हुए मैं अपना बलिदान करूँ । और जब क्राइस्ट को सूली पर चढ़ाया गया, तो उन्होंने यही कहा, हे मेरे ईश्वर, इन्हें माफ कर देना, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं ।
मेरे देखे, जीवन एक महान् सत्य है । जीवन को उसकी गहराई से जीना, आनन्द से जीना, आध्यात्मिक होकर जीना, सत्य का उत्सव मनाना है । तुम्हें अपनी आत्म-मनीषा को जागृत करना चाहिये ।
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