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बढ़ती जाएँगी | संभावनाएँ और भी सम्भावित हैं । तुमसे महावीरबुद्ध का, कृष्ण क्राइस्ट का पुनर्जन्म सम्भावित है । जरूरत है जिज्ञासा को जगाने की, प्यास को पनपाने की |
तीन वर्ष का बच्चा पापा से हर चीज के बारे में सवाल करता है - पापा ! ये क्या है ? वो क्या है ? ये कैसे होता है ? वो कैसे होता है ? किसी भी नई चीज को देखकर उसके मन में जिज्ञासा पैदा होती है । जिज्ञासा का यह जन्म शुभ है । अगर आपने बच्चे की जिज्ञासा को दबाने का प्रयास किया तो इसके दुष्परिणाम होंगे । यह उस बच्चे के विकास की हत्या होगी । उसके मस्तिष्क की हत्या होगी । जिस जीवन से जिज्ञासा, आश्चर्य की मृत्यु हो गई, समझो इस जीवन की ही मृत्यु हो गई । जीवन में हर कदम पर जिज्ञासा और कौतूहल होना चाहिए । जिज्ञासा से ही आप जान पाएँगे कि सत्य क्या है और झूठ क्या है ? तभी दूध का दूध और पानी का पानी अलग नजर आएगा ।
किसी के कहने पर मत कहो कि ये सत्य और ये असत्य है । खुद जानो फिर कहो, तुम्हारी बात में वजन आएगा ? जिसने असत्य को नहीं जाना वह सत्य को भी नहीं जान सकता । खुद जानकर कहो कि यह सत्य है और यह सत्य है ।
हमने अज्ञान को जान लिया तो समझो ज्ञान को भी जान लिया । स्वयं के अज्ञान को जानना अपने भीतर ज्ञान को प्रकट करने का प्रथम सूत्र प्राप्त करना है। ज्ञान को पाने का प्रयास बाद में करना, पहले अपने अज्ञान को जान लेना ।
मनुष्य के लिए जो सबसे कठिन है, उनमें अपने अज्ञान का ज्ञान होना है । 'ज्ञान' का ज्ञान तो सबको होता है पर अज्ञान का
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