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सम्यक्त्व की सुवास
मेरे प्रिय आत्मन् ! __पिछले कुछ दिनों से हम भगवान श्री महावीर के ऐसे कुछ महत्त्वपूर्ण सूत्रों पर परिचर्चा कर रहे हैं जो अंधेरे में खड़े राहगीर के लिए प्रकाश की किरण साबित हो सकते हैं। महावीर के सूत्रों की तरफ ज्यों-ज्यों हम अपनी दृष्टि आगे बढ़ाते हैं, त्यों-त्यों हमारी बुद्धि और बोध, जागृत एवं प्रखर हो रहे हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए मुक्ति के मार्ग की समझ शायद सरल हो सकती है, पर उस मार्ग पर चलने वाला ही जान सकता है कि वह पथ कितना दुर्गम है। उस मार्ग पर कितने दर्रे और खाइयाँ हैं? उस मार्ग पर कितनी चट्टानें और अवरोधक हैं, यह उस पथ का पथिक ही जानता है।
लेकिन यदि किसी व्यक्ति का दृढ़ संकल्प है कि वह संसार की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट तक पहुँच कर ही रहेगा तो उसकी यह दृढ़ इच्छा-शक्ति और दृढ़ संकल्प उसे किसी तेनजिंग और हिलेरी की तरह मुक्ति के एवरेस्ट तक एक दिन अवश्य पहुँचाते ही हैं। अगर किसी व्यक्ति के समक्ष यह प्रश्न रखा जाए कि उसके एक तरफ तो एक लाख रुपये हों और दूसरी तरफ एक सामायिक हो या फिर एक तरफ, ऐसी पाँच रुपये की लॉटरी हो, जिस पर एक लाख का इनाम खुल सकता हो और दूसरी तरफ एक ऐसी पाँच रुपये की रसीद हो जिससे सामायिक करने को
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