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जागे सो महावीर
आनंदित रहेगा जैसे वह अपने बीते हुए कल में था। तुम जैसा आज इंतजाम करोगे, कल वैसा ही मिलेगा। तुम आज घर में मेहंदी या खिजाब रखते हो, क्योंकि तुम्हें डर है कि कल तुम्हारे बाल सफेद हो जाएँगे तो निश्चित रूप से तुम्हारे काले बाल सफेद हो कर ही रहेंगे। ___ व्यक्ति के जैसे विचार होते हैं, वैसे ही उसका जीवन रूपांतरित होने लगता है। लोग मेरे पास हाथ दिखाने आते हैं और पूछते हैं कि हमारे हाथ में क्या लिखा है ? मैं कहता हूँ कि तुम हाथ को बाद में देखना-दिखाना, पहले यह देखो कि तुम्हारे दिमाग में क्या है ? व्यक्ति के विचारों में जैसा होता है, वैसा ही उसकी रेखाओं में परिवर्तन होता है। यदि तुम निराश हो, तुम्हारे विचारों में अनुत्साह है, घुटन है और तनाव है तो निश्चित रूप से तुम्हारे हाथ की रेखाएँ भी तुम्हारे साथ नहीं चलेंगी और यदि तुम्हारे हाथ की रेखाएँ भले ही दस जगह से कटी हों पर तुम्हारे विचारों में यदि आशा व उत्साह है और तुम जीवन के प्रति उदात्त और हृदयवान हो तो तुम्हारे विचार रचनात्मक और गुणात्मक ही होंगे। उस स्थिति में तुम्हारी कटी-फटी रेखाएँ भी सुगढ़ रेखाओं में बदल जाएँगी। ___ व्यक्ति यह सोचता है कि हाथ की रेखाएँ नहीं बदल सकतीं, पर मैं कहता हूँ कि निश्चित रूप से वे व्यक्ति के विचारों के अनुसार परिवर्तित होती रहती हैं। तुम अपने विचार बदल लो, तुम्हारी हस्तरेखाएँ, स्वयं ही बदल जाएँगी। हमारे अपने विचार ही हमें सुख-दु:ख देते हैं।
तुम्हें लगता है कि पत्नी से तुम्हें सुख मिल रहा है और दाम्पत्य-जीवन ही तुम्हारे सुख का आधार है। पर नहीं, सुख वहाँ नहीं बल्कि तुम्हारे विचारों में छिपा है। सुख के बीज व्यक्ति की मानसिकता में होते हैं। तुम्हें सुख इस लिए लगता है, क्योंकि तुम्हारे विचारों में पल रही उत्तेजनाएँ, संवेदनाएँ उस निमित्त से शांत होती हैं अत: तुमने ऐसा मान लिया है। ____ यदि तुम्हारे भीतर सुखानुभूति है तो बाहर के हजार-हजार निमित्त भी तुमसे तुम्हारे मन की सुख-शांति को नहीं छीन सकते और यदि तुम्हारे विचारों में ही दुःखों का लावा धधक रहा है तो बाहर के हजारों सुख पहुँचाने वाले निमित्त भी तुम्हें सुख नहीं दे सकते। एक व्यक्ति जो निराशा, अवसाद, भय, चिंता और घुटन में जीता है, उसने भले ही हाथ में हीरे की अंगूठी पहन रखी हो, बैंक में करोड़ों का बेलेन्स हो, सब तरह की बाह्य सुविधाएँ हों, तो भी वह सुखानुभूति
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