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जागे सो महावीर
में भी राजनेता पैदल या साइकिल पर जाते थे। उनकी कमीजों या कुर्तों में भी ऐसे ही पैबंद लगे रहते थे जैसे कि हम संत लोग अपनी चदरिया के फटने पर लगा लेते हैं। आज तो हर राजनेता का विदेश में अकाउंट मिलेगा। विश्व में आज जो मंदी है, उसका कारण भी यही चोरी, कालाबाजारी और रिश्वतखोरी ही है। ___आपको याद होगा कि स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात कही थी कि केन्द्रीय सरकार किसी कार्य के लिए एक रुपया भेजती है तो उस कार्य तक सिर्फ पन्द्रह पैसा ही पहुँचता है। बाकी के पिच्चासी पैसे रास्ते में ही गायब हो जाते हैं। यह बात कोई साधारण व्यक्ति कहता तो कोई आश्चर्य नहीं होता, पर एक जिम्मेदार प्रधानमंत्री ने यह बात कही। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में भ्रष्टाचार किस कदर हावी हो गया है। ___ हमारे ये राजनेता तो इस बात की प्रतीक्षा में रहते हैं कि देश में कोई अकाल, दुर्घटना, भूकंप या ऐसी ही कोई बहुत बड़ी विभीषिका आए ताकि उनके वारेन्यारे हो सकें। ऐसी दुर्घटनाओं पर मानवकल्याण संस्थाओं द्वारा, विदेशों द्वारा बड़ी रकमें प्रेषित की जाती हैं पर जरूरतमंदों के पास कितनी मदद पहुँच पाती है, यह तो शायद वही जानता है। अब इन नेता लोगों द्वारा एक-दो लाख का नहीं बल्कि करोड़ों का घोटाला होता है। जब आज से पन्द्रह साल पहले आम आदमी तक पन्द्रह फीसदी पैसा ही पहुंचता था तो आज कितना पहुँचता होगा? इस हालत में सुधार की फिर गुंजाइश ही कहाँ रह जाती है? ___जब समय के हिसाब से आदमी की संख्या बढ़ी है तो देश की अर्थ-व्यवस्था के इन दीमकों की तादाद भी तो बढ़ी होंगी। इसीलिए भगवान अपनी ओर से अचौर्य व्रत का निवेदन कर रहे हैं ताकि देश की अर्थव्यवस्था सुचारु रूप से चल सके। __ इस देश को आर्य देश कहा जाता है। आर्य देश अर्थात् जहाँ के लोगों का आचरण आर्य (श्रेष्ठ) हो, पर आर्यत्व है कहाँ ? यहाँ तो कोई भी कार्य बिना पेपरवेट रखे होता ही नहीं है। एक बार किसी ट्रस्ट को कुछ काम करवाना था। उस ट्रस्ट से जुड़े हुए एक सज्जन मेरे पास आए और उन्होंने मुझे बताया कि वे मानवकल्याण के कार्यों में जुटे हैं। ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन हो जाए और ८० जी की छूट सरकार की तरफ से तुरन्त मिल सके, इसके लिए वे मेरी सहायता चाहते हैं। चूंकि कार्य मानव-सेवा से जुड़ा था, इसलिए मैंने आयकर आयुक्त को ट्रस्ट को
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