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श्रावक-जीवन का स्वरूप
मेरे प्रिय आत्मन् !
महावीर का मार्ग संसार में रहते हुए भी संसार से अछूते रहने का मार्ग है। यह एक ऐसा मार्ग है जो हर हाल में, हर व्यक्ति और हर प्राणी की स्वस्ति और मुक्ति की कामना करता है। महावीर का मार्ग, वीतरागता का मार्ग है। जो व्यक्ति प्रार्थना तो वीतराग की करते हैं, पर जिनके हृदय में राग और द्वेष की आँधियाँ चलती रहती हैं, वे महावीर के मार्ग से विमुख हैं। यह मार्ग तो निवृत्तिमूलक मार्ग है। ___ यह मार्ग उनके काम का है जो इस मार्ग पर चल कर निर्वाण या मुक्ति को उपलब्ध करना चाहते हैं। महावीर जब अपनी ओर से देशना देते हैं तो उनकी एक ही प्रेरणा रहती है कि हर व्यक्ति मुक्ति का साधक बने और उसके लिए वह श्रमण-जीवन या मुनि-जीवन स्वीकार करे।जो व्यक्ति श्रमण-जीवन को अंगीकार करने में स्वयं को असमर्थ महसूस करते हैं, उनके लिए महावीर ने श्रावक-जीवन का मार्ग दिया। श्रावकत्व एक ऐसा मार्ग है जहाँ व्यक्ति संसार में रहकर भी संसार से उसी प्रकार अछूता रह सकता है जैसे किसी कमल की पांखुरियाँ कीचड़ से निर्लिप्त रहती हैं।
महावीर द्वारा अपनी ओर से श्रावक-जीवन का मार्ग प्रशस्त करने के बावजूद उनकी प्रेरणा हमेशा यही रही कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन का लक्ष्य श्रमणजीवन रखे। आज हम भले ही श्रावक-जीवन स्वीकार कर लें, लेकिन हमारा
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