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जागे सो महावीर
यदि तुम किसी व्यक्ति के बारे में जानना चाहते हो तो मैं कहूँगा कि तुम यह जाने की तकलीफ मत करना कि उसके माता-पिता कौन हैं ? यह भी जानने की कोशिश मत करना कि उसका कुल या गौत्र क्या है ? यदि तुम उसकी सोहब्बत जान लोगे तो तुम्हें यह सहजतया ही पता चल जाएगा कि वह व्यक्ति कैसा है ? वह व्यक्ति किनके साथ उठता- बैठता है, किनके शब्दों को सुनता है और किनकी याद करता है ? इसके आधार पर व्यक्ति के चरित्र व उसके स्वभाव का आसानी से पता लग सकता है ।
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यदि तुम किसी महावीर का सान्निध्य प्राप्त करते हो तो निश्चित रूप से तुम में महावीरत्व घटित होगा । उनके शब्दों का श्रवण तुम्हारे अन्तस् में छिपे हुए तमस् को मिटाने के लिए प्रकाश-किरण सिद्ध होगा। हजारों वर्षों बाद आज भी महावीर का स्मरण व्यक्ति के जीवन के कल्याण का आधार बनता है | हम इतने भाग्यशाली नहीं हैं कि आज हमें महावीर का सान्निध्य प्राप्त हो, पर यह हमारा परम सौभाग्य है कि हमें उनकी वाणी, उनके शब्द उपलब्ध हैं । ये शब्द हमारे लिए उसी तरह कारगर हो सकते हैं जैसे किसी निराश व्यक्ति के लिए खिला हुआ गुलाब का फूल प्रेरणा लेकर आए। आज हम महावीर के उन सूत्रों पर चर्चा करेंगे जिन्हें श्रावक के जीवन की नींव कहा जा सकता है। सूत्र है
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सोचा जाणई कल्लाणं, सोच्चा जाणई पावगं, उभयं पि जाणई सोच्चा, जं छेयं तं समायरे ।
भगवान कहते हैं - 'सुनकर कल्याण का मार्ग जाना जा सकता है, सुनकर पाप का मार्ग जाना जा सकता है। दोनों को जानकर उनमें जो श्रेयस्कर हो, उसका आचरण किया जाए । '
चाहे आत्महित का मार्ग हो या पाप का, चाहे पुण्य की पारमिताओं को छूना हो या पाप की वैतरणी में डूबने का मार्ग हो, दोनों को सुनकर ही जाना जा सकता है। शायद ही धरती पर इतना सरल सूत्र या मुक्ति का सरल मार्ग बताया गया हो, जहाँ आचरण से पूर्व भी सुनने पर बल दिया गया हो ।
भगवान ने कहा कि तुम मार्ग को आचरण में लाने से पूर्व उसे जानो । जब तक यह जाना ही नहीं कि सही राह कौन-सी है और गलत कौन-सी तो व्यक्ति सही राहों को थाम कर गलत राहों से कैसे बच सकेगा ? एक व्यक्ति वह है जो कि
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