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संत स्वयं तीर्थ स्वरूप
११७ रहती है। विपरीत हालात, विपरीत परिस्थिति में भी चित्त की शान्ति और समता बरकरार रखना, चित्त में फिर भी प्रेम, सद्भाव और आशीष बनाए रखना इसी में साधुता की आत्मा निहित होती है। बुरा करने वाले का भी भला चाहना यही तो साधुता है। कुविचार, कुवाणी, कुकृत्य की बजाय सद्विचार, शुभवाणी और सुकृत्य का आचरण करना ही साधुता की धुरी है। मूल्य इसका नहीं है कि तुम्हारे पत्नी है या नहीं, मूल्य इस बात का है कि तुम्हारी दृष्टि में प्रभुता है या नहीं। शरीर को तुम भगवान का मन्दिर समझो और औरों को भगवान की मूरत, फिर तुम अपने साथ तथा औरों के साथ जो भी व्यवहार करो, तुम्हारा हर कर्म साधु-कर्म कहलाएगा। तुम्हारा जीवन साधुमय होगा। तुम्हारी हर हालत में अपनायी जाने वाली सौम्यता और सजनता में ही साधुता के अर्थ समाये हैं और ऐसी समता ही साधुता की कसौटी है।
हम लें एक बहुत ही प्यारा प्रसंग-विश्व के प्रसिद्ध सन्त फ्रांसिस के जीवन से। सन्त फ्रांसिस के नाम से ही फ्रांस देश का नाम पड़ा और सेण्ट फ्रांसिस्को शहर का नाम भी उनके नाम से ही पड़ा। सन्त फ्रांसिस एक बार अपने शिष्य 'लियो' के साथ सेण्ट फ्रांसिस्को नगर की तरफ जा रहे थे। बरसात बहुत तेजी से बरस रही थी। उस समय कच्ची सड़कें ही हुआ करती थीं। अत: सन्त फ्रांसिस और लियो कीचड़ से लथपथ हो गए। रास्ते में चलते-चलते सन्त फ्रांसिस ने लियो से पूछा, 'क्या तुम जानते हो कि सच्चे साधु कौन होते हैं?' लियो चुप ही था। सन्त फ्रांसिस स्वयं ही बोले, सच्चा साधु वह नहीं होता जो किसी रोगी को ठीक कर दे। सच्चा साधु वह भी नहीं होता जो पशु-पक्षियों अथवा पेड़-पत्तियों की भाषा समझ ले। सच्चा साधु वह भी नहीं होता जिसने घर-परिवार से नाता तोड़ लिया हो या सबको छोड़ दिया हो और सच्चा साधु वह भी नहीं होता जिसने मानवता की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है।' - लियो जो मौनपूर्वक सब बातें सुन रहा था, उसका चौंकना स्वाभाविक था, क्योंकि ये ही तोवे बाते हैं जो सामान्यतया साधुता के लक्षण मानी जाती हैं। लियो बोला, 'तब सच्चा साधु कौन होता है?' फ्रांसिस ने कहा, 'वत्स! मान लो कि जब मैं और तुम सेण्ट फ्रांसिस्को पहुँचेंगे तो इस बरसाती अंधेरी रात में हम कीचड़ से लथपथ होंगे और धर्मशाला के द्वार-दरवाजे बन्द मिलेंगे। जब हम दरवाजे पर दस्तक देंगे तो चौकीदार पूछेगा, "कौन?' हमारा जवाब होगा, 'दो साधु!' यह सुनते ही चौकीदार भड़क उठेगा और चिल्ला कर कहेगा, 'मुफ्तखोरो! भागो यहाँ
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