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जागे सो महावीर
. मेरे देखे, जिस मार्ग पर भी समग्रता से चला जाए तो एक-न-एक दिन मंजिल हासिल हो ही जाती है। वह मार्ग चाहे गृहस्थ-जीवन का मार्ग हो, संन्यास- जीवन का मार्ग हो, मुक्ति का मार्ग हो अथवा अन्य कोई क्षेत्र। समग्रता से जिस दिशा में प्रयत्न किया जाएगा, वैसी दिशा निश्चित रूप से प्राप्त होगी। यदि व्यक्ति समझौते का मार्ग अपना लेता है तो वह सब मार्गों की खिचड़ी ही कर देता है। खिचड़ी में दाल या चावल का अलग-अलग जायका कहाँ लिया जा सकता है। हम जाँचें स्वयं को कि क्या हमने अपने धर्म-कर्म की या जीवन केमार्गों की ऐसी खिचड़ी ही तो नहीं कर दी है? आवश्यकता तो है लक्ष्य के प्रति, मार्गफल और परिणाम के प्रति प्रतिबद्धता की। अगर कोई व्यक्ति फकीरचंद है तो उसका कारण वह स्वयं है। भाग्य कितने दिन साथ नहीं देगा? आखिर पुरुषार्थ के आगे भाग्य को भी मजबूर होना ही पड़ेगा। प्रारब्ध उसी का साथ निभाता है जो पुरुषार्थ करता है। प्रारब्ध और पुरुषार्थ का चोली-दामन का साथ है। दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
इसीलिए भगवान कहते हैं जिनशासन में मार्ग और मार्गफल दो प्रकार से कथन किया गया है। मार्ग सम्यक्त्व है और मार्गफल निर्वाण है। मार्ग तो चलने के लिए होता है । उसके बारे में बातें करने के लिए नहीं। यदि तुम पानी गर्म करना चाहते हो तो पानी की तपेली के नीचे अंगीठी सुलगानी ही पड़ेगी। अंगीठी सुलगाए बिना तुम पानी गर्म होने के लिए हजार-हजार प्रार्थनाएँ कर लो, वह एक दिन तो क्या सौ-सौ दिनों में भी गरम न हो पाएगा। लोग मंदिरों में जाते हैं और प्रार्थना करते हैं कि भगवान ! मेरा धंधा चला देना। अरे ! धंधा तो तुम्हारे पुरुषार्थ और मेहनत से चलेगा। महावीर क्या इतने सस्ते हो गए हैं कि वे तुम्हारा धंधा चलाने आएँगे। वे तो संसार की इन सब उठापटकों से मुक्त हो चुके हैं। __उनसे तो तुम वीतरागता माँगो, जीवन की शुद्धि, मुक्ति और निर्वाण माँगो। संसार के भोगों का तो उन्होंने स्वयं ही त्याग कर दिया। संसार तो उनके पास है ही नहीं। भगवान कहते हैं कि यद्यपि जीव धर्म पर श्रद्धा करता है, उसकी प्रतीति करता है और उसका आचरण भी करता है, लेकिन वह यह सब कर्म-क्षय के निमित्त नहीं, वरन् धर्म को भोग का निमित्त या भोग-प्राप्ति का साधन मानकर करता है।
यही कारण है कि मैंने कहा, 'लोग महावीर से बहुत दूर हो चुके हैं।' वे महावीर से महावीरत्व या मुक्ति कम ही चाहते हैं। कोई धंधा चाहता है, कोई पुत्र,
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