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जागे सो महावीर
जब तक गुरु में गुरुत्व का ही जन्म नहीं हुआ, तब तक वह किसी को शिष्य बनाने का मतलब एकजीवन को पार लगाने का उत्तरदायित्व अपने कंधे पर लेना है। जब स्वयं के प्रति स्वयं का उत्तरदायित्व ही पूरा नहीं हो पा रहा है तो दूसरे का जिम्मा लेने का क्या औचित्य ! स्वयं तो पार लग नहीं पाया, उस पार की झलक नहीं देखी, किन्तु उसने अपनी नाव में किसी और को भी सवार कर लिया। स्वयं तो भटक ही रहा है और दूसरा भी उसके साथ भटकेगा। खुद भी डूबेगा और औरों को भी ले डूबेगा। ___ महावीर बिल्कुल वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते हुए कहते हैं कि जो मार्ग पर चलेगा, उसे मार्गफल मिलेगा। विज्ञान के सारे सिद्धांत, सारे नियम केवल एक ही बात पर आधारित है और वह है 'कार्य और कारण' का सिद्धांत, 'कॉज एण्ड इफेक्ट'। विज्ञान कहता है कि यदि कारण है तो कार्य है और यदि कार्य नजर आता है तो उसका कोई कारण अवश्य रहा होगा।
___ महावीर भी एक वैज्ञानिक की तरह कहते हैं कि मार्ग पर चलो तो मार्गफल मिलेगा। यदि मार्ग पर चलने से पहले ही व्यक्ति डर गया या मार्ग में ही कहीं खो गया तो उसे मार्गफल कभी नहीं मिल पाएगा। ___ एक बार एक व्यक्ति बिस्तर पर लेटा-लेटा हाथ-पाँव चला रहा था। संयोग से वहाँ कोई समझदार व्यक्ति पहुँच गया। उसने जब उसे बिस्तर में यों हाथ-पाँव चलाते देखा तो पूछा, 'अरे भाई साहब, आप यह क्या कर रहे हैं ?' उसने जवाब दिया, 'साहब, मैं तैरना सीख रहा हूँ।' आगन्तुक बोला, 'आपको तैरना सीखना है तो किसी तालाब में जाकर सीखो।' वह बोला, 'मुझे तालाब में तो उतरने से डर लगता है, इसलिए यहीं सीख रहा हूँ।' वह व्यक्ति बोला, 'आप यहाँ बैठे-बैठे हाथ-पाँव चलाना जरूर सीख सकते हैं, पर तैरना कभी नहीं।' जो डूबने से डरते हैं वे तैरना कभी नहीं सीख सकते। तैरने के लिए तो जोखिम उठानी ही पड़ेगी, साहस करना ही होगा और अपने कदम बढ़ाने ही होंगे। ___ एक बार किसी पहाड़ी इलाके में हमारा प्रवासथा । वहाँ सुबह-सुबह तलहटी में मैंने एक आदमी को बैठे देखा। मैंने उससे पूछा, 'भाई, यहाँ कैसे बैठे हो?' उसने जवाब दिया, 'साहब, मैं पहाड़ पर चढ़ना चाहता हूँ, पर अंधेरा बहुत है।' मैंने कहा, 'कोई बात नहीं, मैं तुम्हारे लिए लालटेन की व्यवस्था करा देता हूँ।' वह व्यक्ति बोला, 'यह तो ठीक है, पर लालटेन की रोशनी तो दो-तीन फुट ही
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