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________________ मानसिक क्लेशों से कैसे पाएँ मुक्ति - S मेरे प्रिय आत्मन्, महर्षि पतंजलि ने हजारों वर्ष पूर्व मानव के मनोविज्ञान को पहचानते हुए मन, चित्त और आत्मा की बारीकियों को समझने व बताने का प्रयास किया था। मन व चित्त की बारीकियों को समझते हुए पाँच प्रकार के क्लेशों व संक्लेशों को मानवजीवन से दूर हटाने की प्रेरणा दी थी। अज्ञान मानव जीवन का पहला आंतरिक क्लेश है। अहंभाव दूसरा आध्यात्मिक संक्लेश है। राग तीसरा, द्वेष चौथा और मृत्यु का भय पाँचवाँ संक्लेश है। हम अपने जीवन में सुख,शांति, सफलता पाना चाहते हैं । जो भी महानुभाव सुख, शांति, सफलता और आनन्द पाना चाहते हैं वे सबसे पहले अपने जीवन से क्लेश-संक्लेश अर्थात् अशांति, चिंता, तनाव के निमित्तों से स्वयं को दूर हटा लें। हमारा जीवन जलयान की तरह है और मन उस जहाज़ के कप्तान की तरह है। कप्तान यदि प्रशिक्षित है, जागरूक है तो निश्चित ही वह अपने जीवन के जहाज़ को शांति, आनन्द और सफलता के तट की ओर ले जाने में सफल हो जाता है। दूसरी ओर यदि कप्तान मूर्ख, अशिक्षित या लापरवाह है तो वह अपने जीवन के जहाज़ को | 81 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003887
Book TitleYoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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