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________________ 1 जो सूरज उगता है वह अस्त भी होता है। लाभ के साथ हानि और संयोग के साथ वियोग भी है । जानने के कारण ज्ञानी व्यक्ति अपने चित्त में संक्लेश नहीं करता । अविद्या और अज्ञान के कारण हम दुःखों से घिरे रहेंगे। इसके विपरीत ज्ञान होने पर हर परिस्थिति से सामना करने का धैर्य और अन्तर्दृष्टि रहेगी । 1 भगवान महावीर सुई-धागे का उदाहरण देते हुए कहते हैं- जिस तरह धागे में पिरोई हुई सुई खोती नहीं है, ठीक उसी तरह ज्ञान रूपी धाग़ में पिरोई हुई आत्मा भी इस संसार में भटकती नहीं है । जब आत्मा पर अज्ञान का आवरण हावी रहता है, तभी वह संसार में भटकती है । अज्ञान का आवरण होने पर चाहे जितना ज्ञान का प्रकाश दिया जाए उसे उल्लू की तरह दिन में सूर्य दिखाई नहीं देता। चाहे दिन हो या रात, केवल ज्ञान चाहिए । ज्ञानी को ज्ञान का प्रकाश दिन में भी उजाला देता है और रात को भी रोशनी प्रदान करता है। ज्ञान जीवन का प्रकाश है । चित्त के तमस् को, तमोगुण एवं रजोगुण को दूर करने का यह ऐसा सतोगुण है जिसके द्वारा हम भीतर की विजय प्राप्त करते हैं । हम अपने अज्ञान पर ज्ञान का अंकुश लगाएँ । ज्ञान की लगाम से हम अपने अज्ञान रूपी घोड़े पर विजय पाएँ । संसार में संतों, मुनियों, ऋषियों का इसीलिए तो मान-सम्मान है कि वे सही मार्ग प्रशस्त करते हैं । जो बातें माता-पिता, विद्यालय-महाविद्यालय नहीं सिखासमझा पाते वे बातें संतों-ज्ञानीजनों के सान्निध्य में सध जाती हैं । आख़िर क्यों ? क्योंकि उनके जीवन में ज्ञान का प्रकाश है, चारित्र की ज्योति है । उसे वे जीते हैं । इसीलिए उनका सीधा प्रभाव पड़ता है । ज्ञान सहायक व विधायक है, अज्ञान खतरनाक होता है । मैंने सुना है : एक विदेशी महिला भारत आई। उसने एक अन्य महिला के हाथ में मेंहदी रची हुई देखी तो पूछा तुम्हारे हाथ में इतनी ललाई और ऐसी सुंदर डिज़ाइन कैसे आ गई। उसने बताया कि मेंहदी लगाई थी उससे हो गई । वह महिला वापस अपने देश पहुँची, मेंहदी के पत्ते मंगाए और अपने हाथों पर बाँध लिया। तीन घंटे बाद जब खोलकर देखा तो पाया कि कुछ भी नहीं हुआ । उसने सोचा मुझे तो बताया था कि मेंहदी से हाथ लाल होते हैं, पर ऐसा नहीं हुआ। अगली बार जब वह भारत आई तो बताया कि मेंहदी से उसके हाथ लाल हुए ही नहीं। पूछा गया कि उसने क्या किया था। तो बताया कि हाथों में पत्ते बाँध लिए थे। महिला हँसी । आख़िर उसने उसे सही विधि बताई कि पहले पत्ते पीसो, भिगोओ, फिर लगाओ। ऐसा ही किया गया और उसके हाथों में मेंहदी का रंग चढ़ गया । इसीलिए मैंने कहा कि जीवन में ज्ञान ज़रूरी है; अज्ञान खतरनाक होता है । 74 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003887
Book TitleYoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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