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________________ नाड़ी शुद्धि प्राणायाम - अनुलोम-विलोम : इसकी 10 आवृत्ति करें । शक्ति वर्धक प्राणायाम सुदर्शन-क्रिया / क्रियायोग 1 प्राणायाम और योगासनों के माध्यम से हम दुर्बल तन को सबल और चेहरे को कांतिवान बना सकते हैं । निष्क्रिय कोशिकाएँ जाग्रत और ऊर्जस्वित हो जाती हैं । क्रिया-योग ध्यान करने से पूर्व का वह प्राणायाम है जो हमारे शरीर और श्वास में, मन और श्वास में एकलयता स्थापित कर देता है। ध्यान में जो चित्त दो पल भी नहीं टिक पाता, क्रिया-योग करने से उसे एकाग्र होने में, एक ही बिंदु पर दत्तचित्त होने में बहुत मदद मिलती है। इसमें हम तीन बार 'ॐ' का उद्घोष करें । शंखनाद की तरह । फिर तीन बार दिमाग में ओंकार का अंतरनाद करें। यानी दिमाग को ओंकार - ध्वनि से तरंगायित करें, वाइब्रेट करें। ध्वनि के द्वारा हम बाहरी वातावरण को निर्मल करते हैं और दिमाग में वाइब्रेट करके मंत्र द्वारा दिमाग की कोशिकाओं को जाग्रत करने का प्रयत्न करते हैं । अब नासिका प्रदेश पर सचेतन होकर प्राणायाम करें। 20-20 के क्रम से । अर्थात् पहले 20 लम्बी गहरी साँस लें और लम्बी गहरी साँस छोडें । इसके साथ आप ‘ओऽम्' और 'सोहम्' को भी जोड़ सकते हैं। 'सो' अर्थात् सांस लेना 'हम्' अर्थात् साँस छोड़ना । अब 20 मध्यम, सहज सांस लें और छोड़ें। इसमें भी 'सोहम्' का प्रयोग कर सकते हैं। एक चक्र पूर्ण । I दूसरे चक्र में भी 20 लम्बी गहरी साँस लें व छोड़ें।' सोहम्' का प्रयोग चाहें तो करें, आवश्यक नहीं है। 20 सहज, मध्यम साँस लें । तीसरे चरण में भी ऐसे ही दोहराएँ । प्रत्येक साँस की अनुभूति करते हुए साँस लें व छोड़ें । अगले दो चक्र में हम 20 लम्बी गहरी साँस लेंगे और छोड़ेंगे। लेकिन अगली 20 साँस तीव्र गति से लेंगे व छोड़ेंगे। अब साँस में लय के साथ ऊर्जा भरेंगे । साँस को तीव्रता व गहराई देकर शरीर के हर अणु को एक्टिव करते हैं। दो चक्र इसके दोहराएंगे। एक चक्र में 20 लम्बी गहरी साँस लेना व छोड़ना, 20 साँस सहज मध्यमगति की लेना व छोड़ना अर्थात् गहरी साँस लेना व छोड़ना प्राणायाम है और सहज श्वास लेना-छोड़ना श्वास का रिलेक्सेशन है। पहले प्रयास फिर विश्राम । अब शांत स्वर में ' ओऽम् ' का या 'सोहम् ' का उच्चारण करें। शरीर को ढीला 281 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003887
Book TitleYoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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